डॉ दिलीप अग्निहोत्री
राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल नई शिक्षा नीति के संदर्भ में विद्यार्थियों शिक्षकों व सभी शिक्षाविदों को जागरूकता का सन्देश देती रही है। उनका आग्रह रहता है कि शिक्षण से जुड़े लोगों को इसका उत्कृष्ट क्रियान्वयन सुनिश्चित करना चाहिए। क्योंकि यह नई शिक्षा नीति को भारतीय परिवेश के अनुकूल बनाया गया है। इससे विद्यार्थियों के व्यक्तित्व का व्यापक व नैतिक रूप से विकास होगा। मातृभाषा में प्रारंभिक शिक्षा ज्ञान की बुनियाद को मजबूत बनाएगी। एक बार पुनः आनन्दी बेन पटेल ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से शिक्षण संस्थाओं को अवसर मिला है। उन्हें समाज की वर्तमान चुनौतियों के समाधान और भविष्य की जरूरतों के अनुसार शिक्षण व्यवस्था में परिवर्तन करना चाहिये। युवाओं को ज्यादा से ज्यादा जोड़ने के लिए पाठ्यक्रम बनाना चाहिए। राज्यपाल ने आत्मनिर्भर भारत अभियान का भी इसी संदर्भ में उल्लेख किया। कहा कि चिकित्सा संस्थान कौशल तकनीक संवर्द्धन,स्थानीय संसाधनों,श्रम शक्ति को सशक्त करते हुए आत्मनिर्भर भारत।के अभियान में सहयोग करना चाहिये। जिससे समाज और राष्ट्र स्वस्थ, सतर्क और सशक्त बना रहे। आनंदीबेन पटेल ने आज राजभवन से धर्म समाज कालेज ऑफ फार्मेसी,अलीगढ़ के नवनिर्मित भवन का आनलाइन लोकार्पण किया। इस भवन में आधुनिक पुस्तकालय, कम्प्यूटर कक्ष तथा अत्याधुनिक कान्फ्रेंस हाल सहित सुसज्जित प्रयोगशालाएं शोध करने वाले विद्यार्थियों के लिये महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि फार्मेसी के अन्तर्गत विभिन्न प्रकार की औषधियों का ज्ञान, उनकी क्रिया विधि, साइड इफेक्ट्स,अंतर क्रिया के साथ उपचार तथा रोग विज्ञान की जानकारी भी आती है। एक अच्छे फार्मेसिस्ट के लिए इन गुणों का होना बहुत जरूरी है।
फार्मेसिस्ट को ही चिकित्सकों द्वारा बताई गई दवा की सेवन विधि बतानी होती है। राज्यपाल ने कहा कि सांइस और टेक्नालाॅजी विकास के लिये बहुत आवश्यक है। देश का सतत विकास इसी पर टिका हुआ है। गरीबी के खिलाफ लड़ाई जीतने और एक समान प्रगति के लिये वैज्ञानिक समुदाय के कार्यों से लाभ उठाना जरूरी है। नई तकनीक में फार्मेसिस्टों के कार्य क्षेत्र भी बढ़े हैं। इंटरनेट के माध्यम से फार्मेसी कंसलटेंट का कार्य हो रहा है। यह मरीजों को दवाइयों के इस्तेमाल करने के तरीके और उनके इस्तेमाल के नुकसान के बारे में जानकारी देते हैं। राज्यपाल ने कहा कि सामाजिक स्वास्थ्य सेवा के अन्तर्गत औषधियों की उपयोगिता एवं उनके हानिकारक प्रभावों पर जागरूकता फैलाने की जरूरत है। रोजगार की दृष्टि से फार्मेसी संस्थानों का योगदान दिन प्रति दिन बढ़ता ही जा रहा है। स्वास्थ्य सेवा से जुड़े सभी लोग केन्द्र एवं राज्य सरकार की स्वास्थ्य क्षेत्र में चलाई जा रही महत्वाकांक्षी योजनाओं के सफल संचालन में अपना सहयोग देना चाहिए। इससे जरूरतमन्दों तक योजनाओं का पूरा लाभ पहुंचेगा। सरकार की जन औषधि योजना में जनसाधारण को सस्ती औषधि उपलब्ध कराने में फार्मेसी संस्थानों का प्रमुख योगदान है। ग्रामीण अंचलों में फार्मेसिस्ट की नियुक्ति राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन तथा स्वस्थ इण्डिया योजना के अन्तर्गत मील का पत्थर साबित होगी। शहरी स्वास्थ्य योजना के अन्तर्गत शहर की मलिन बस्तियों के लिए स्वास्थ्य योजनाओं को लागू करने मे फार्मेसिस्टों का सहयोग लिया जाता है। चिकित्सा के क्षेत्र में फार्मेसिस्टों की जिस प्रकार से मांग बढ़ रही है, उससे आने वाले समय में फार्मेसिस्ट हेल्थ केयर सिस्टम का एक महत्वपूर्ण अंग होंगे।