डॉ दिलीप अग्निहोत्री

लखनऊ विश्विद्यालय ने अपने शताब्दी वर्ष में अनेक प्रचलित कलाओं व विधाओं का समन्वय किया है। इसमें दास्तानगोई भी है। इन सबके माध्यम से नई पीढ़ी को जानकारी भी दी जा रही है। इस प्रकार इन आयोजनों का शैक्षणिक महत्व भी है। कला संस्कृति की दृष्टि से अवध क्षेत्र की विशेष पहचान रही है। एक सप्ताह के शताब्दी समारोह में इन सभी की दिलचस्प झलक देखने को मिल रही है। हिमांशु बाजपेयी एक कथाकार, लेखक और पत्रकार हैं। वह लखनऊ शहर के समाज और संस्कृति के बारे में लिखते हैं।

वह दास्तानगोई के एक प्रसिद्ध कलाकार हैं। यह उर्दू में मौखिक कहानी सुनाने का एक मध्ययुगीन फन है । बाजपेयी ने अपनी खूबसूरत “दास्तान ए- तमन्ना-ए-सरफरोशी”, काकोरी क्रांति की कहानी का प्रदर्शन किया। उन्होंने असफाकुल्लाह खान और राम प्रसाद बिस्मिल की कहानी बताई, और कहा कैसे उन्होंने आजादी की लड़ाई में वर्षों पहले ब्रिटिश सरकार के खिलाफ तब तक के सबसे बड़े डकैती को अंजाम देने की कोशिश की थी। उन्होंने दोनों के बीच की दोस्ती की बात की, और सुनाया कैसे दोनों ने हिंदू-मुस्लिम एकता के उदाहरण के रूप में अपना जीवन जिया। यह एक सुंदर प्रदर्शन था, जो LIVE विश्वविद्यालय के आधिकारिक YouTube चैनल पर स्ट्रीम किया गया जहां एक हजार से अधिक लोगों ने इसे देखा।

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