डॉ दिलीप अग्निहोत्री
राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल की बचपन से ही शिक्षा के प्रति गहरी रुचि रही है। कुछ बड़े होने पर जिस विद्यालय में उनका प्रवेश हुआ,वहां मात्र तीन बालिकाएं थी। आनंदीबेन ने अन्य बालिकाओं के हौसला बढ़ाया। उनके साथ अपना अध्ययन भी पूरा किया। वह शिक्षिका भी बनी। बाद में गुजरात की नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री भी रही। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद वह गुजरात की मुख्यमंत्री बनी। चुनावी राजनीति से हटने के बाद वह पहले मध्यप्रदेश और बाद में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल बनी। इन सभी रूपों में वह शिक्षा के प्रसार को प्रोत्साहन देती रही है। बालिकाओं और बच्चों की शिक्षा पर उनका विशेष ध्यान रहता है। उत्तर प्रदेश में राज्यपाल बनने के बाद वह अपने पहले कार्यक्रम में गरीब बच्चों के स्कूल गई थी। विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोह में बच्चों को आमंत्रित करने की परंपरा उन्होंने शुरू की थी। कोरोना के कारण इस पर अमल नहीं हो सका। फिर भी लखनऊ विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में उन्होंने एक शिक्षिका के रूप में मार्ग दर्शन दिया। उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने फोन कर शताब्दी वर्ष पट सभी को बधाई दी है। आनन्दी बेन पटेल ने कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय ज्ञानरूपी प्रकाश का विकास कर रहा है। सौ साल पूरा करने वाला यह नौवां विश्विद्यालय है। यहां अनेक विभूषण मिले हैं। नवाचारों के जरिये यह विश्वविद्यालय आगे बढ़ रहा है। समाजिक चेतना का भी विकास हो रहा है। भारत की संस्कृति को आगे बढ़ाया जाए। हमको नालंदा और तक्षशिला की ओर जाना होगा। विश्वविद्यालय का उद्देश्य दायित्वबोध संपन्न नागरिक बनाना है। उच्च शिक्षा संस्थानों का दायित्व अधिक है। संवेदना को समझने के लिए मानवीय दूरी घटानी होगी। विद्यार्थी को प्रबंधन की जानकारी दी जाए। विश्वविद्यालय जीवन जीने की कार्यशाला है। विद्या और विजन मिलते जुलते शब्द हैं। ज्ञान के जगत में कोई अवरोध नहीं होना चाहिए। नई शिक्षा नीति में विषय चयन को आसान बना दिया गया है। उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा का इस विश्वविद्यालय से गहरा जुड़ाव है। वह ने कहा यहां पढ़ें। मूलतः यहीं प्रोफेसर है। उन्होंने भी दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। कहा कि शिक्षा अंत नहीं है। यह नया आरम्भ है। लेजिस्लेटिव काउंसिल को भेजे गए प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद विश्वविद्यालय बना था। अनेक मूर्धन्य आचार्यों का यहां रहना हुआ है। यहां के विद्यार्थी अनेक पद्म पुरस्कार विजेता रहे हैं। पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा यहीं के छात्र रहे हैं। आचार्य नरेंद्र देव धोती कुर्ता पहनकर आते थे। उन्होंने कुलपति आवास को छात्रावास बना दिया था।
कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय जी ने सर्वप्रथम माननीया कुलाधिपति महोदया को उनके जन्म दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय परिवार की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए समस्त अतिथियों का स्वागत किया। तदनन्तर शताब्दी वर्ष 2020 में लखनऊ विश्वविद्यालय की उपलब्धियां को सबके सामने रखा। उपलब्धियों को गिनाते हुए आत्मनिर्भर भारत इस उक्ति को साकार करते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय ने LUCHEM नाम का अपना सैनिटाइजर, LURAM -19 नामक काढ़ा विकसित किया।डिजिटल लखनऊ विश्वविद्यालय के अंतर्गत SLATE (strategic learning application for transformative education) एप्लीकेशन का ट्रेडमार्क और पंजीकरण, EASE(electronic access to the services of examination) पोर्टल, छात्र कल्याण को ध्यान में रखते हुए सुगम संपर्क व्यवस्था हेतु SIMS (student instant messaging service) नामक पोर्टल, पुस्तकालय के ई संसाधनों का उपयोग करने हेतु दूरस्थ अभिगम (remote access),छात्र केंद्रित उपक्रमों में , छात्रों के लिए ओपीडी (our pupil day) व्यवस्था, TREE (TEACHING REACHING EMBOLDENING AND EVOLVING) परास्नातक छात्रों के परामर्श हेतु योजना, प्रारंभिक पूंजी सुविधा के साथ उद्यमिता (एंटरप्रेन्योरशिप) योजना,उसके बाद माननीय कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय में शैक्षिक अभिवृद्धि हेतु योग एवं वैकल्पिक चिकित्सा संकाय, उच्च आणविक आनुवंशिकी एवं संक्रामक योग संस्थान, नैनो विज्ञान केंद्र, अक्षय ऊर्जा केंद्र आदि की स्थापना की गई है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आलोक में D.litt पीएचडी परास्नातक अध्यादेशों का निर्माण किया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन में विकल्प आधारित चयन प्रणाली सीबीसीएस के अंतर्गत क्रेडिट ट्रांसफर योजना, बहु विषयी शिक्षण (multidisciplinary education), अंतरानुशासनिक शोध संस्थान एवं केंद्र, पाठ्यक्रम में मूल्य आधारित कोर्स का समावेश, साहित्यिक विषयों में बाध्यता मूलक प्रयोगात्मक विषयों का प्रवेश,कौशल प्रशिक्षण आदि प्रमुख छात्र केंद्रित एकीकृत कार्यक्रमों का कार्यान्वयन किया गया है।