सलिल पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार, मिर्जापुर.

 

  • पूरे एक साल का लेखा-जोखा
  • बाहर झांके तो गर्दन धड़ से अलग हो जाएगा

मिर्जापुर। अब जब कोरोना त्रेतायुग में पुलस्त्य के नाती रावण की तरह आतंक मचाता अपना एक वर्ष पूरा कर रहा है, तब इसका वार्षिक लेखा-जोखा होना भी आवश्यक है । 22/3/’19 को घण्टा-घड़ियाल, शंख, थाली की गूँजके बीच पहला कर्फ्यू कोरोना के चलते जब लगा, तब तो वह मनोरंजन का एक माध्यम सा लग रहा था लेकिन जब 24 मार्च की रात्रि 12बजे से लॉकडाउन लग गया तो हाहाकार मचना शुरू हो गया।

शहर से गांव तक मरघट-सी खामोशी

लॉकडाउन के चलते भयावह से सन्नाटे के बीच पुलिस की खबरदार, बाहर निकले तो मुगलकाल के खलक खुदा की, मुल्क बादशाह, हुकुम कोतवाल का, घर के बाहर झांकने की कोशिश की नहीं कि गर्दन धड़ से अलग कर दिया जाएगा जैसा दृश्य पेश कर रहा था।

बिलबिलाते दूँधमुहे बच्चे और मुनाफाखोर चच्चे !

अचानक लॉकडाउन से जीवनोपयोगी वस्तुएं कोरोना की तरह छलांग लगाने लगी। दूधमुंहे बच्चे बिलबिलाने लगे तो धंधा में लगे हर क्षेत्र के ढेरों चच्चे लूट सके तो लूट में लग गए। आटा-दाल से लेकर सब्जी-भाजी ही नहीं बल्कि जीवनोपयोगी दवाएं ठेंगा दिखाने लगीं। यहां तक कतिपय डॉक्टरों ने भी मानवता को द्रौपदी बनाकर खुद दुर्योधन हो गए। दो सौ-तीन सौ की फीस 600/- तक छलांग लगाने लगी।

DM की भृकुटि हुई टेढ़ी

24/3 की रात से लगे लॉकडाउन के 6 दिन पहले ही DM श्री सुशील कुमार पटेल ने प्रज्ञा-चक्षु से सारी भयावहताओं को भांप लिया था और प्री-प्लानिंग बना ली थी कि कोरोना-काल में क्या क्या करना है। नगर के कतिपय डॉक्टरों एवं पैथालॉजी सेंटरों की हृदयहीनता का ऑपरेशन DM श्री पटेल करने निकल पड़े तब जाकर मौत से गलबहियां किए लोग थरथराने लगे, वरना लूट ने इलाज को रसातल भेज दिया था।

कोरोना एक्सप्रेस और दाना-पानी की व्यवस्था

बाहर से आने वाले मजदूर-छात्र स्थानीय लोगों की नजर में जानी-दुश्मन हो गए थे। सूरत, मुंबई आदि से आने वाली गाड़ियों का नाम कोरोना एक्सप्रेस, यमराज-मेल आदि हो गया था। जिले के असक्षम लोगों था बाहर से आने वालों के लिए दानापानी की व्यवस्था में भी DM ने रणनीति बनाई और जनसहयोग भी लिया।

स्वैब टेस्ट

सर्वाधिक भयावह स्थिति कोरोना लक्षण वालों के टेस्ट की थी। डॉक्टरों की हिम्मत जब स्वैब टेस्ट की नहीं हो रही थी तब DM श्री पटेल ने तत्कालीन CMO डॉ ओपी तिवारी से मन्त्रणा की। डॉक्टर तिवारी और खुद DM श्री पटेल कोरोना-ड्रेस पहनकर पहले, दूसरे मरीज का सैम्पल लेने लगे। धीरे धीरे अन्य स्टाफ हिम्मत जुटाने लगा।

जनसहयोग में आगे

सरकारी विभागों में जिला-प्रशासन, पुलिस विभाग तथा अनेक थानाध्यक्ष, PWD आदि लंच पैकेट बांटना शुरू किया तो बरौंधा स्थित राइस मिल ने खुले मन से प्रशासन को चावल दिया। व्यापार-संगठन भी आगे आए जबकि डैफोडिल्स स्कूल की ओर से प्रतिदिन उच्चस्तर का लंच पैकेट बांटना शुरू किया। स्थानीय स्कूलों में जहां कतिपय स्कूल प्रबन्धक प्रशासन से कन्नी काटने लगे और इस कोशिश में लग गए कि उनका स्कूल आइसोलेशन सेंटर न बनाया जाए वहीं शेम्फोर्ड स्कूल ने आगे आकर प्रशासन को सहयोग दिया। ये सारे सहयोग कोरोना इतिहास लिखे जाने पर महत्वपूर्ण अध्याय बनेंगे।

रोड पर परेड

AC कमरा छोड़कर रोड पर परेड करने में पूर्व SP डॉ धर्मवीर सिंह को ऊर्जा जैसे मिलती रही हो, लिहाजा सामाजिक सद्भाव के लिए नगर-परिक्रमा करते करते DM श्री पटेल को भी खूब परिक्रमा कराया। गिनती करने पर दोनों उच्च अधिकारियों की रोड-परेड का शतक

मिर्जापुर हुआ विख्यात

इस दौरान सक्तेशगढ़ से ऊर्जा-शक्ति बांटने वाले स्वामी अड़गड़ानन्द जी महाराज के लिए कोरोना दुर्योधन बन गया। प्रधानमंत्री ने पहली बार किसी महात्मा के स्वास्थ्य के बारे में हालचाल लिया था। सो मिर्जापुर कोरोना युद्ध में महत्त्वपूर्ण हो गया।

संयोग

यह संयोग ही है कि स्वामी अड़गड़ानन्द जी से कोरोना के बारे में जिस दिन PM श्री नरेन्द्र मोदी ने बात की, उसके बाद से कोरोना का चढ़ता ग्राफ नीचे की ओर आने लगा।

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