डॉ दिलीप अग्निहोत्री

 

किसानों के नाम पर शुरू हुए आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर कोई उल्लेखनीय समर्थन नही मिला। अब तो अनेक प्रदेशों के किसान संगठन भी नए कृषि कानूनों को बेहतर बता रहे है। उनका कहना है कि इससे किसानों को लाभ होगा। उन्हें लाभप्रद विकल्प उपलब्ध कराए गए है। भाजपा इससे उत्साहित है। उसने भी किसानों से सीधे संवाद का निर्णय लिया था। आंदोलन दिल्ली पहुंचने वाले कुछ मार्गो तक ही सीमित है। यहां तक कि पंजाब हरियाणा के बड़ी संख्या में किसान इसमें शामिल नहीं है। किंतु अनेक प्रदेशों में विपक्षी पार्टियों के कार्यकर्ता भारत बंद और विरोध प्रदर्शनों में शामिल हुए। भाजपा इससे उत्साहित है। उसने भी किसानों से सीधे संवाद का निर्णय लिया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसकी शुरुआत की। उन्होंने बरेली में किसानों से संवाद किया।

हटाये गए बिचौलिए

नरेंद्र मोदी सरकार व्यवस्था को बिचौलिया मुक्त बनाने के लिए कटिबद्ध है। इसीलिए करीब चालीस करोड़ जनधन खाते खोले गए थे। इससे शतप्रतिशत धनराशि किसानों को मिलने लगी। कृषि कानून भी इसी दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि विपक्ष और कुछ चुनिंदा लोग जिन्हें किसानों की खुशहाली अच्छी नहीं लगती है वही विरोध कर रहे हैं।

किसान कल्याण के कदम

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वही लोग विरोध जिन्होंने कभी भी किसानों की उपज को नहीं खरीदा। यूपी में बीजेपी की सरकार आई तो सबसे पहली कैबिनेट में छियालीस लाख किसानों की कर्जमाफी की। बत्तीस हजार करोड़ का जो कर्जमाफी की, उसका सर्टिफिकेट भी दिया गया। सीधे अकाउंट में रुपये भेजे गए। विपक्ष को कोई मुद्दा नहीं मिला तो एक झूठ को बार बार बोलकर अपनी बात सिद्ध करने में लगा है। खिसिया रहे हैं।

विपक्ष को परेशानी है किसान को सीधा लाभ देने में क्योंकि किसानों के हक में डकैती डालते थे। किसानों के लिए सौ रुपये दिया जाता था,उसमें नब्बे रुपये चट कर जाते थे। इसे रोका जा रहा है तो उन्हें परेशानी हो रही है। बिचौलिये और दलालों को बाहर किया जा रहा है। किसानों के सीधा लाभ दिया जा रहा है।

उपज खरीद का रिकार्ड

उत्तर प्रदेश की वर्तमान सरकार ने किसानों की उपज खरीद के रिकार्ड कायम किये है। पिछली सरकार के लोग कृषि कानून का विरोध तो कर रहे है,लेकिन अपने समय हुई खरीद पर मौन है। वर्तमान सरकार किसानों की उपज के क्रय के लिए व्यवस्था की गई। किसानों को कहीं पर भटकना न पड़े। इसलिए छतीस लाख मीट्रिक टन धान खरीदा जा चुका है। यहाँ चीनी मिल बंद हो रही थी। लेकिन वर्तमान सरकार ने एक लाख बारह हज़ार करोड़ का किसान का गन्ना भुगतान किया।जिससे मिल भी चलें और किसान भी समृद्ध हो। गन्ना किसानों का भविष्य उज़्ज़वल है।विकास के कार्य,गुमराह करने वालों को बुरा लग रहे हैं। विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं बचा है इसलिए वह एक झूठ को बार बार बोल रहा है। सरकार सूदखोरी पर लगाम लगा रही,विपक्ष को यह पसन्द नहीं है।

विरोध का वामपंथी अंदाज

कम्युनिज्म की यह थ्योरी कि एक झूठ को अगर सौ बार बोलोगे तो सच हो जाएगा। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह थ्योरी यहां कभी सफल नहीं होगी। हम तो सत्य के आग्रही हैं, सत्य बोलेंगे और सत्य के मार्ग का अनुसरण करने में कोई संकोच नहीं करेंगे। यही प्रधानमंत्री देश के सामने कह रहे हैं।

सुदृढ़ की मंडी व्यवस्था

आज जो मंडी व्यवस्था समाप्ति के भ्रम फैला रहे है। उनका अपने समय की व्यवस्था देखनी चाहिए। वर्तमान सरकार कृषि मंडी को तकनीक के साथ जोड़कर मंडी व्यवस्था को सुदृढ़ कर रही हैं। किसानों को अच्छी सड़कें,शेड,पार्किंग और बुनियादी सुविधाएं प्रदान की जा रही है। लेकिन मुद्दा विहीन विपक्ष लोगों को गुमराह कर रहा है कि मंडी बंद हो जाएगी।सरकार नई परिस्थिति में किसानों व गांवों उत्थान के लिए सतत कार्य करती रहेगी। किसी को भी, अव्यवस्था फैलाने की छूट नहीं दी जाएगी। यही उत्तर प्रदेश सरकार का संकल्प है।

किसानों के लाभ हेतु कृषि कानून

कृषि कानून का विरोध कपोल कल्पित है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि किसानों की जमीनों पर किसी को भी जमीन जब्त करने की अनुमति नहीं है। इस कानून के तहत किसानों से उनकी उपज की बिक्री पर कोई सेस या फीस नहीं ली जाएगी। किसानों को उनकी उपज का बेहतर दाम मिलेगा। इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और निजी निवेश के साथ ही कृषि क्षेत्र में अवसंरचना का विकास होगा। नए कृषि कानूने के तहत खेत से लेकर खलिहाल तक,बीज से लेकर बाजार तक चेन विकिसत की गई है। इससे किसानों की आय दो वर्षों में दोगुनी हो जाएगी। बिचौलिये और दलालों को किया जा रहा बाहर, किसानों के सीधा लाभ दिया जा रहा है। कृषि कानूनों से किसानों की एमएसपी बढ़ेगी।

कायम रहेगी कृषि मंडी

कानून मंडी समाप्त करने की व्यवस्था नहीं है। मंडियां पहले की तरह ही चलेगीं। निजी क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी जिससे किसानों को उपज का ज्यादा फायदा मिलेगा। किसान बाहर मंडी में अपनी फसल बेच सकेगा लेकिन उसे किसी तरह का टैक्स नहीं लगेगा।

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