डॉ दिलीप अग्निहोत्री

 

राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल ने कुछ दिन पहले कहा था कि वह किसान की बेटी है। किसानों की समस्याओं को वह जानती है। केंद्र सरकार के कृषि कानूनो के माध्यम से उनकी समस्याओं का समाधान हो सकेगा। राज्यपाल ने गोरखपुर में पांच किसान उत्पादन संगठन एवं प्रगतिशील किसानों से संवाद किया। कहा कि प्रधानमंत्री ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस दिशा में कार्य किया जा रहा है। जब लागत कम होगी तो आय बढ़ेगी। उन्होंने कम्पोस्ट खाद का अधिकाधिक प्रयोग करने के सुझाव देते हुए कहा कि केमिकलयुक्त अनाज,फल,सब्जिया स्वास्थ्य के प्रति अच्छी नहीं होती है इसलिए आर्गेनिक उत्पादन को बढ़ावा देना होगा। उन्होंने कहा कि किसान अन्नदाता है,वह अनाज उगाते है। प्रधानमंत्री का कहना है कि वे अपनी फसल की कीमत किसान स्वंय तय करें ताकि उनकी उपज का वास्तविक मूल्य मिले। भारत सरकार की मंशा है कि हमारे किसान सशक्त एवं समृद्ध हो।

स्वयं सहायता समूहों से संवाद

आनंदीबेन पटेल ने गोरखपुर के सर्किट हाउस में स्वंय सहायता समूहों,क्षय रोग ग्रसित बच्चों एवं किसान उत्पादक संगठन, प्रगतिशील किसानों के साथ बैठक की तथा स्वंय सहायता समूह की ग्यारह समूहों से संवाद किया। महिलाओं ने राज्यपाल को समूह से जुड़ने से हुए लाभों से अवगत कराया। बताया कि इससे उनका आर्थिक उन्नयन हुआ है। परिवार में खुशहाली का माहौल है। इस मौके पर राज्यपाल ने स्वंय सहायता समूहों को सात करोड़ तैतीस लाख से अधिक के डेमो चेक समूहों को दिए गए। सामुदायिक शौचालय के तहत महिलाओं महिलाओं को चाभी एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत कोटे की एक दुकान चयन का नियुक्ति पत्र प्रदान किया।

स्वास्थ्य व शिक्षा पर बल

राज्यपाल ने शिक्षा पर बल देते हुए कहा कि शिक्षा जीवन उत्थान का बड़ा माध्यम होता है, समूह की महिलाओं से कहा कि वे संकल्प लें कि बेटा-बेटी में कोई भेद भाव नही है,दोनो एक समान है,ऐसे भाव के साथ अपने बच्चों को खूब पढ़ायें। बच्चियों का सशक्त होना जरूरी है तथा उनका ब्लड टैस्ट कराया जाये और यह सुनिश्चित हो कि हीमोग्लोबीन तेरह से सोलह प्रतिशत से कम नही होना चाहिए। कुपोषण से बच्चियों के जीवन को बचाने के लिए बाल विवाह कदापि न करें। उन्होंने यह संकल्प लिया जाये कि बाल विवाह एवं दहेज प्रथा की परिपाटी को पनपने नहीं दिया जायेगा,महिलाएं जब तक चुप रहेगी तब तक यह कुप्रथा दूर नही हो सकती है। समाज में कुप्रथा को दूर करने के लिए महिलाओं को आगे आना होगा। स्वच्छ, स्वस्थ्य एवं शांत समाज की स्थापना की जाये।

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