डॉ दिलीप अग्निहोत्री

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के संस्थापक डॉ हेडगेवार महान स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी थे। वह कांग्रेस के माध्यम से स्वतन्त्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका का निर्वाह कर रहे थे। लेकिन उनका द्रष्टिकोण कहीं अधिक व्यापक था। वह देश को स्वतन्त्र कराने के साथ ही परतंत्रता के कारणों का भी विश्लेषण कर रहे थे। वह उन कारणों का विश्लेषण कर रहे थे जिनके कारण देश परतंत्र हुआ। विदेशी आक्रांताओं ने यहां अपना शासन स्थापित किया। जबकि भारत कभी विश्वगुरु के पद पर प्रतिष्ठित था। उनका निष्कर्ष था कि राष्ट्रीय स्वाभिमान व एकता की भावना कमजोर होने का ही विदेशी आक्रांताओं ने लाभ उठाया। इसी भावना को जागृत करने के लिए उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना की थी। वह हिंदुओं को संगठित करके दुनिया को सर्वे सन्तु निरामया’, ‘वसुधैव कुटुम्बकम् का सन्देश देना चाहते थे।

सुनील आंबेकर की पुस्तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ: स्वर्णिम भारत के दिशा-सूत्र में राष्ट्रीय चिंतन के आधार का व्यापक उल्लेख किया गया। पुस्तक का लोकार्पण राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया।

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को समझने के लिए सेवा की भारतीय दृष्टि को समझना होगा।

विचार व सेवा यात्रा

छियानबे वर्षाें की अपनी यात्रा में जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को छुआ है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा चारों पुरुषार्थों में अनुपम एवं अतुल्य कार्य किया गया है। यही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की पहचान भी है। वैश्विक महामारी कोरोना काल में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा जो कार्य किया गया,उसने देश और दुनिया में संघ के प्रति श्रद्धा और सम्मान बढ़ाया है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अपने कार्यों का श्रेय नहीं लेना चाहता। वह अपना दायित्व मानकर कार्यों का सम्पादन करता है। किसी भी जीवन्त व्यक्ति या संगठन का पक्ष विपक्ष होना स्वाभाविक है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को अपनी सराहना में अहंकार नहीं है। आलोचना में नाराजगी भी नहीं है।

एकात्मता का भाव

मुख्यमंत्री ने कहा कि अपने सेवा कार्य में स्वयं सेवकों द्वारा किसी की जाति,मत,मजहब, भाषा,क्षेत्र नहीं पूछा गया,केवल सेवा के दायित्व का निर्वहन किया गया। उन्होंने कहा कि देश के किसी भी प्रदेश में कोई आपदा की स्थिति होने पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयं सेवकों द्वारा स्वतः स्फूर्त भाव से सेवा कार्य किया जाता है। स्वामी विवेकानन्द जी का जन्म पश्चिम बंगाल में हुआ। संघ के एक कार्यकर्ता द्वारा उनका स्मारक कन्याकुमारी में विवेकानन्द शिला के रूप में स्थापित किया गया। यह देश की एकात्मकता के भाव को दर्शाता है। अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर के निर्माण का भाव भी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की देन है। यह स्वप्न भी अब साकार हो रहा है।

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