सत्यम ठाकुर, ब्यूरोचीफ, गुजरात.

गुजरात विधानसभा सत्र के आखिरी दिन “गुजरात फ्रीडम ऑफ रिलिजन एक्ट-2003” में संशोधन कर “गुजरात धार्मिक स्वतंत्रता सुधार विधेयक-2021” के नाम से पेश किया गया एक तरह से यूपी और एमपी के बाद गुजरात में भी लव जिहाद विरोधी बिल पेश किया गया , गृहराज्य मंत्री प्रदीप सिंह जाडेजा ने सत्र के आखिरी ये बिल पेश किया गुजरात सरकार ने पुराने कानून में संशोधन करके इस कानून को ओर सख्‍त बनाने की कोशिश की है। जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर इसमें न्‍यूनतम सजा तीन साल है जबकि अधिकतर दूसरे प्रदेशों में यह 1 साल ही है

गुजरात में ‘लव जिहाद’ एवं शादी का झांसा देकर धर्म परिवर्तन कराने जैसे मामलों पर रोकथाम के लिए अब नया कानून आ गया है , इसके लिए राज्य सरकार विधानसभा में एक पुराने कानून में बदलाव संबंधी बिल लेकर आई है। जिसके बारे में गुजरात के गृह मंत्री प्रदीप सिंह जडेजा ने मीडिया को जानकारी दी। उन्होंने कहा कि, “वे लोग जो हिंदू लड़कियों का धर्म परिवर्तन कराने को आमदा होते हैं, उन पर शिकंजा कसा जा सकेगा। महिलाओं को झांसा देकर शादी करना अब नहीं चल पाएगा।” वहीं, उनसे पहले गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल भी इस तरह के बयान दे चुके हैं। मुख्यमंत्री ने कहा था, ”जिस तरह से लड़कियों को झांसा देकर फंसाया जाता है, वह लंबे समय तक नहीं चलने वाला। गुजरात में ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई होगी।

नए कानून में किसी को बहलाने-फुसलाने के लिए भी प्रावधान किया गया है ,जिसमे मुताबिक, ‘बेहतर लाइफस्‍टाइल, दैवीय आशीर्वाद’ के बहाने धर्म परिवर्तन के लिए उकसाना अब इस ऐक्‍ट के तहत दंडनीय अपराध होगा, इस विधेयक में यह भी प्रस्‍ताव रखा गया है कि अगर कोई व्‍यक्ति फिर से अपने या अपने पूर्वजों के धर्म में लौटता है तो उस पर यह ऐक्‍ट लागू नहीं होगा। इस विधेयक में नया सेक्‍शन 3ए जोड़ने का प्रस्‍ताव रखा गया है। इसके तहत धर्मांतरित व्‍यक्ति के माता-पिता, भाई, बहन या उसके रक्‍त संबंधियों, शादी या गोद लेने के जरिए बने रिश्‍तेदारों को इस मामले में एफआईआर दर्ज कराने का अधिकार होगा। अगर कोई व्‍यक्ति प्रेम और शादी के बहाने किसी का धर्म परिवर्तन कराने में मदद करता है तो वह भी समान रूप से दोषी होगा।

नए यानि कि संशोधित कानून के तहत दोषी को कम से कम 3 साल और अधिक से अधिक 5 साल की सजा और 2 लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान होगा। वहीं, नाबालिग और दलित के मामलों में 4 से 7 साल की सजा और 3 लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान होगा। पीड़ित लड़की के माता-पिता, भाई-बहन या अन्य रिश्तेदार आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज करवा सकेंगे। नए कानून के मुताबिक अब आरोपी की मदद करने वालों पर भी कार्रवाई होगी। इसके अलावा नए कानून में यह प्रावधान भी होगा कि उप पुलिस अधीक्षक के नीचे के अधिकारी ऐसे मामलों की जांच नहीं कर सकेंगे।

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