अमरदीप सिंह, संवाददाता, गुजरात.

  • कोरोना के मुद्दे पर गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जताई नाराजगी…
  • जब कोरोना मरीज बढ़ेंगे तब क्या होगा एक्शन प्लान, कैसे निबटेगी गुजरात सरकार
  • कोरोना के मुद्दे को लेकर कोई सिस्टम काम करता नहीं दिख रहा, राज्य सरकार की कोई योजना नहीं दिखती

अहमदाबाद. कोरोना के लगातार बढ़ते संक्रमण के बीच गुजरात हाईकोर्ट ने कोरोना के मुद्दे पर राज्य सरकार से नाराजगी जताते हुए कहा कि कोई सिस्टम काम करता नहीं दिख रहा। किस सिस्टम के तहत राज्य सरकार काम कर रही है। राज्य सरकार के पास कोई योजना नहीं दिखती।

मंगलवार को संज्ञान याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और न्यायाधीश भार्गव कारिया की खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा कि फिलहाल कोरोना की यह स्थिति है लेकिन अगले सप्ताह क्या स्थिति होगी जब कोरोना मरीजों की संख्या ज्यादा होगी। अभी 14 हजार मामले आ रहे हैं, इस माह के अंत तक 30 हजार मामले हो जाएंगे। यदि 10 फीसदी मरीजों को भी ऑक्सीजन की जरूरत पड़ेगी तो यह संख्या 3 हजार हो जाएगी। यदि मई की शुरुआत में यह मामले दुगने हो जाएंगे, तब क्या होगा? तब राज्य सरकार कैसे इससे निबटेगी। क्या कदम उठाए जा रहे हैं?

न्यायाधीश कारिया ने राज्य सरकार से पूछा कि क्या इस तरह से सिस्टम कार्य कर रहा है। अहमदाबाद के सिर्फ 900 बेड के अस्पताल या 1200 बेड के अस्पताल से काम नहीं चलेगा क्योंकि ये अस्पताल 2 दिन में फुल हो जाएंगे। यह मसला सिर्फ अहमदाबाद का ही नहीं बल्कि पूरे राज्य से जुड़ा है।

खंडपीठ ने कहा कि कहा कि 108 एंबुलेंस समय पर नहीं पहुंच रही। ऐसा क्यों है कि 108 एंबुलेंस में आने वाले मरीजों को ही अस्पताल में भर्ती किया जा रहा है? क्यों निजी वाहनों या एंबुलेंस में आने वाले लोगों को दाखिल किया जा रहा है। राज्य सरकार ने जैसा कहा था वैसा कुछ भी नहीं हो रहा।

हालांकि खंडपीठ ने यह भी कहा कि कोर्ट ऐसा नहीं कह रही है राज्य सरकार कुछ नहीं कर रही लेकिन जिस तरीके से राज्य सरकार कर रही है वह संतोषप्रद नहीं है। आज की स्थिति से कोर्ट खुश नहीं है।

108 एंबुलेंस में आने वाले मरीजों की ही भर्ती करने पर जोर क्यों?

गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से 108 एंबुलेेंस के मुद्दे पर भी नाराजगी जताई। 108 एंबुलेंस से जुड़़े कई मुद्दे सामने आने की बात रखते हुए खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा कि क्यों इस एंबुलेंस में आने वाले कोरोना ग्रस्त मरीजों का ही क्यों अस्पतालों में भर्ती कर इलाज किया जा रहा है। क्यों अहमदाबाद महानगरपालिका 108 एंबुलेंस के आने पर ही अस्पताल में दाखिले पर जोर दे रही है? क्यों नहीं निजी वाहनों या एंबुलेंस में आने वाले कोरोना मरीजों का उपचार किया जा रहा है।

हर कोरोना मरीज का उपचार हो

हाईकोर्ट के मुताबिक निजी वाहनों या एंबुलेंस में आने वाले प्रत्येक कोरोना मरीजों का उपचार किया जाना चाहिए। ऐसी स्थिति में अन्य वाहनों या एंबुलेंस से आने वाले मरीज क्या करेंगे। चिकित्सकों को बाहर खड़ी एंबुलेंस या वाहनों में ही मरीजों का उपचार आरंभ करना चाहिए और यह देखा जाना चाहिए कि कौन सा मरीज किस स्थिति में है। मरीजों की स्थिति को देखते हुए अस्पताल में मरीज को दाखिल किया जाना चाहिए। गंभीर मरीज पर पहले ध्यान दिया जाना चाहिए। यदि कोई मरीज घर पर ठीक हो सकता है तो उसे इस तरह की सलाह देनी चाहिए। इससे कम से कम मरीज को आस बंधेगा। साथ ही यह नियम नहीं रखा जाना चाहिए कि 108 से आने वाले मरीजों का ही उपचार किया जाएगा। 108 एंबुलेंस का रिस्पॉंन्स समय भी काफी ज्यादा है। पहले आओ पहले पाओ की स्थिति पर काम नहीं किया जा सकता। क्या अहमदाबाद महानगरपालिका राज्य सरकार के तहत नहीं आती है? मनपा को राज्य सरकार के निर्देश का पालन करना चाहिए।

सिर्फ गुलाबी तस्वीर, वास्तविकता नहीं

हाईकोर्ट ने कहा कि न्यायाधीश कारिया ने कहा कि राज्य के कई हिस्से ऑक्सीजन की कमी का सामना कर रहे हैं। लोग ऑक्सीजन के लिए दस गुणा दाम देने को तैयार हैं। राज्य सरकार की ओर से पेश किया गया शपथपत्र धरातल की वास्तविकताओं को परिलक्षित नहीं कर रहा है। सिर्फ गुलाबी तस्वीर पेश की गई है। सब कुछ कागज पर है। रेमडेसिविर की वितरण योजना के बारे में स्पष्टता नहीं है वहीं अस्पतालों में बेड की स्थिति के लिए डेश बोर्ड को लेकर कुछ भी नहीं कहा गया है।

अभूतपूर्व परिस्थिति का सामना कर रही सरकार, माना-अस्पताल में दाखिल होना मुश्किल

राज्य सरकार की ओर से दलील दे रहे महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने माना कि राज्य में कोरोना को लेकर स्थिति गंभीर है। राज्य सरकार अभूतपूर्व परिस्थिति का सामना कर रही है। यह स्थिति पूरे देश मेंं है। अस्पताल में दाखिल होना मुश्किल हो रहा है। बेड फुल हैं। सिस्टम है लेकिन संसाधनों को लेकर परेशानी है।

हाईकोर्ट ने कहा, लॉकडाउन कोई विकल्प नहीं

हाईकोर्ट ने यह भी माना कि कोरोना संक्रमण की चेन को तोडऩे का विकल्प लॉकडाउन नहीं हो सकता। कुछ वकीलों के लॉकडाउन के सुझाव पर न्यायाधीश कारिया ने कहा कि यह जर्मनी, न्यूजीलैण्ड, लंदन, सिंगापुर नहीं बल्कि भारत है। राज्य सरकार को चेन तोडऩे के लिए और कुछ कड़े कदम उठाने चाहिए। हालांकि कोरोना के मामले बढऩे के लिए सरकार की बजाय लोग ज्यादा जिम्मेदार हैं। यदि घर से कोई भी व्यक्ति एक सप्ताह बाहर नहीं निकलेगा तो चेन को हम रोक सकते हैं। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि न तो हम सुझा रहे हैं और न ही कोर्ट जानती है कि कैसे चेन तोड़ा जा सके। इसमें सरकार व विशेषज्ञों को देखना चाहिए।

हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को इस दौरान सभी तरह की शक्तियों का इस्तेमाल करना चाहिए। खंडपीठ ने राज्य सरकार के 108 एंबुलेंस, रेमडेसिविर, ऑक्सीजन सहित अन्य मुद्दों पर राज्य सरकार से एक सप्ताह में जवाब मांगा। संज्ञान याचिका पर अगली सुनवाई अब 4 मई को होगी।

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