सलिल पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार, मिर्जापुर.
ट्रस्ट के जिम्मेदार स्थिति स्पष्ट करें।
जो दस्तावेज सार्वजनिक हो गए हैं उनमें गाटा नम्बर 242 जिसका रकबा 10 हजार 370 वर्गमीटर है, वह भूमि 18 मार्च ’21 को 8 हजार करोड़ में बिकी जबकि उसी दिन 243, 244, 246 जिसका रकबा 12 हजार 80 वर्गमीटर की भूमि है वह 18.50 करोड़ में बिकी।
मेयर के भतीजे दीपनारायण उपाध्याय द्वारा खरीदी गई 1.90 करोड़ की जमीन के कागजात सार्वजनिक हो गए हैं। आरोप लगा है कि इनके आय के स्रोत का पता नहीं है। उक्त सारे क्रय-विक्रय में रवि मोहन तिवारी का नाम आया है जिनका परिचय मेयर के समधी के साले के रूप में बताया जा रहा है। साढ़े 18 करोड़ और 8 करोड़ की खरीदी गई जमीनों में चंपत राय जी का फोटो है। इससे मामला संदेह के घेरे में है।
शारदा चिट फंड और नारदा स्टिंग ऑपरेशन
इन दोनों घोटालों में गिरफ्तारियां हुई थीं। जांच बैठी । इसी दरम्यान मुकुल राय जो स्टिंग ऑपरेशन में पैसा लेते नहीं बल्कि कहीं अन्यत्र पहुंचाने के लिए कह रहे थे, दिखाया गया था। उन्होंने दल बदल लिया था । शुभेंदु अधिकारी का पैसा लेते वीडियो वायरल हुआ था। इसके अलावा दर्जनों आर्थिक घोटालों में जिस तरह उच्चस्तरीय जांच हुई, उसी तरह इस मामले की भी जांच कराकर गर्म होते माहौल को शांत किया जा सकता है।
जहां तक मन बदलने की बात है, वह कभी भी बदल सकता है
कोई गारंटी नहीं ले सकता कि उसका मन हमेशा आदर्शवादी ही रहेगा। यदि कहता है तो वह इस युग का देवता है। त्रेतायुग में श्रीराम को सर्वाधिक स्नेह-प्यार देने वाली कैकेई का मन बदल गया था। धर्मशास्त्रों में ब्रह्मा के मन बदलने का जिक्र आता है। द्वापर में कंस अपनी बहन देवकी को तो बहुत मानता था लेकिन स्वार्थ के चलते देवकी के 6 ब्च्चों की हत्या उसी ने कराई। इसलिए किसी आरोपित को यह कहकर छोड़ देना कि वह जीवन भर नैतिक था, न्यायपूर्ण दलील नहीं है । मन के खिलाफ निर्णय के चलते भीष्म पितामह को शरशैय्या मिली और अल्पकाल के लिए बाली वध के बाद सुग्रीव पर गद्दी पाते अपना संकल्प भूलने से भगवान श्रीराम भी कुपित हुए थे। जब इस स्तर पर मन बदल रहा है तो भौतिक युग में कुछ भी हो सकता है।
जो चन्दा नहीं दिए वे न बोले!
यह भी कहा जा रहा कि जो चन्दा नहीं दिए वे न बोले। इस स्थिति में सूचना के अधिकार के दौर में किसी भी RTI कार्यकर्त्ता से यह कहा जाए कि सरकारी योजना में सूचना मांगने का कोई औचित्य नहीं, उचित नहीं है। अनेक स्तरों पर शिकायती-पोर्टल पर जनसामान्य की शिकायतों की जांच हो रही है तो इस मैटर में इस तरह की दलील उचित तो नहीं है। जांच तो इसी आधार पर हो सकती है कि आप सांसद संजय सिंह, जाने माने पत्रकार संदीप चौधरी, अभिसार शर्मा, पुण्य प्रसून बाजपेयी एवं रवीश कुमार आदि जो कागजात दिखा रहे, वह नकली तो नहीं? ट्रस्ट के जिम्मेदार लोग खुद ही स्पष्ट करें कि वास्तविकता क्या है ? यदि ये लोग गलत हैं तो इन्हीं के खिलाफ कार्रवाई हो ।