डॉ दिलीप अग्निहोत्री
हजारों वर्ष पहले हमारे ऋषियों ने विश्व के संपूर्ण कल्याण की कामना योग साधना का अनुसंधान किया था। योग केवल शरीर को ही स्वस्थ नहीं करता,बल्कि मानवीय चिंतन को संतुलित और सकारात्मक बनाता है। इसमें आचार, विहार सभी परिष्कृत होते है। इसका प्रभाव आस पास के वातवरण पर पड़ता है। प्राचीन भारत के ऋषि मनीषियों द्वारा दुनिया को दी गई यह अमूल्य भेंट आज तनाव मुक्ति,मानसिक शारीरिक व्याधि के निवारण का का मार्ग प्रशस्त कर रही है। कोरोना संकट के दौरान धनी व विकसित देशों की सुदृढ़ स्वास्थ्य सुविधाएं भी लाचार नजर आई। लेकिन यह माना गया कि भारतीय योग से इम्युनिटी बढ़ती है। इससे कोरोना का मुकाबला किया जा सकता है। इसमें केवल शरीर के स्वास्थ्य का संवर्धन नहीं होता,बल्कि मन,विचार,मस्तिष्क पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। विश्व के प्रत्येक देश योग का महत्व समझ रहे हैं। इसकी लोकप्रियता बढ़ रही है। इसका श्रेय मोदी को है। विश्व योग के लिए भारत की तरफ देखने लगा। निरोग रहना सबकी चाहत होती है। योग इसमें सहायक है।
जब विश्व किसी देश को सकारात्मक विषय पर देखता है तो उस देश की जिम्मेदारी बहुत बढ़ जाती है। भारत की जिम्मेदारी भी बढ़ गई है। योग को अपना कर,जीवन में उतार कर हम विश्व को प्रेरणा दे सकते हैं। भारत जब विश्व गुरु था तब यही था। अन्य देश अपनी समस्याओं के समाधन हेतु भारत की तरफ देखते थे। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस ने हमको पुनः यह अवसर दिया है। योग अब विश्वव्यापी अभियान बन रहा हैं। विश्व के प्रत्येक देश योग का महत्व समझ रहे हैं। इसकी लोकप्रियता बढ़ रही है। इसका श्रेय मोदी को है। विश्व योग के लिए भारत की तरफ देखने लगा। निरोग रहना सबकी चाहत होती है। योग इसमें सहायक है। जब विश्व किसी देश को सकारात्मक विषय पर देखता है तो उस देश की जिम्मेदारी बहुत बढ़ जाती है। भारत की जिम्मेदारी भी बढ़ गई है। योग को अपना कर,जीवन में उतार कर हम विश्व को प्रेरणा दे सकते हैं। भारत जब विश्व गुरु था तब यही था। अन्य देश अपनी समस्याओं के समाधन हेतु भारत की तरफ देखते थे। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस ने हमको पुनः यह अवसर दिया है। योग अब विश्वव्यापी अभियान बन रहा हैं। इक्कीस जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस भाजपा या नरेंद्र मोदी ने नहीं संयुक्त राष्ट्र संघ ने घोषित किया है। जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं उन्हें देश की प्रतिष्ठा का ध्यान नहीं है। कई वर्ष सत्ता में रहे नेता समझा रहे हैं कि योग दिवस की नहीं अन्य समस्याओं के समाधान की जरूरत है। इन्हें कौन बताये की योग किसी कार्य में बाधा उत्पन्न नहीं करता। ऐसे नेता योग दिवस नहीं मनाते थे। लेकिन जब वह सत्ता में थे तब उन्हें समस्या के समाधान से किसने रोका था। योग में यम,नियम,आसन, प्राणायाम,प्रत्याहार, धरना ध्यान,समाधि तक विस्तार है। यह व्यक्तिगत व समाज जीवन का एक साथ कल्याण करता है।
फिर भी यह मानना होगा कि योग को लेकर भारत का आम नागरिक अपनी जिम्मेदारी को समझ रहा है। वह विश्व को सन्देश देना चाहता है। सैंकड़ों देशों में योग दिवस समारोह का आयोजन उत्साह पूर्वक किया गया। कुछ लोगों का तंज खुद उन्हें ही हास्यास्पद बना रहा है। योग सामान्य व्यायाम या कसरत नहीं है। यह सम्पूर्ण जीवनशैली को बदल देता है। इससे सकारात्मक विचार बढ़ते हैं। नकारात्मक विचारों से छुटकारा मिलता है। प्राचीन भारत केवल योग की ही शिक्षा नहीं देता था तब वह आर्थिक महाशक्ति भी था। योग शरीर की बीमारी दूर करता है। शासक जब सकारात्मक व लोककल्याण के योग विचार से प्रेरित होता है। तब वह राज्य की बीमारी दूर करता है। जैसे शरीर बीमार होता है वैसे राज्य भी शासक की लापरवाही भ्रष्टाचार से बीमार होता है। मोदी ने कुछ वर्ष पहले योग दिवस पर लखनऊ में कहा था कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश की बीमारी दूर कर रहे हैं। उन्हें विरासत में बीमारू प्रदेश मिला था। विदेश नीति में भी योग का महत्व है। यह विश्व को सकारात्मक चिंतन से प्रेरित करेगा। यह विश्व को जोड़ने का काम करेगा। अभी तो शुरुआत है। भारत ही नहीं विश्व में योग का माहौल बन रहा है। भारत विकास और योग के संयोग की नीति पर चल रहा है। यह नीति भारत को सांस्कृतिक व आर्थिक रूप से मजबूत बनायेगी। योग में भी विश्व व मानवता के कल्याण की कामना है। सबके स्वस्थ रहने की कामना है। इसमें विचारों के संतुलन का भी महत्व है। संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा ने जिस ऐतिहासिक समर्थन से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को स्वीकार किया था,वह राष्ट्रीय गौरव का विषय था। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस भारत की महान धरोहर के प्रति विश्व की सहमति है।