संजीव रत्न मिश्रा, वरिष्ठ संवाददाता, वाराणसी.
- विश्वनाथ कॉरिडोर के लिए अंजुमन ने 1700 वर्ग फीट जमीन दी , विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने बदले मे 1000 वर्ग फीट दुसरी जमीन सौंपी।
ज्ञानवापी मस्जिद के मुस्लिम पक्षकारों ने बड़ी पहल करते हुए सावन से पहले हिंदू पक्षकारों को अपने हिस्से की 1700 वर्ग फीट जमीन सौंप दी है. यह वही जमीन है जिस पर पहले से ही विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद सुरक्षा का कंट्रोल रूम बना हुआ था. विश्वनाथ कॉरिडोर निर्माण के दौरान इस जमीन को लेकर संशय था कि मुस्लिम पक्षकार इस पर पुनर्निर्माण करने देंगे या नहीं. जिसके बाद प्रशासनिक पहल पर मुस्लिम पक्षकारों ने 1700 वर्ग फीट जमीन का मालिकाना हक हिंदू पक्षकारों को सौंपा है. प्रशासन 1700 वर्ग फीट जमीन के बदले 1000 वर्ग फीट जमीन कॉरिडोर के बाहर दी है.
अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी के संयुक्त सचिव एसएम यासीन ने बताया कि हमारे पास 3 प्लॉट है. एक 9131 प्लॉट नंबर, जिस पर मस्जिद है, दूसरा 8263 जो कॉमन पैसेज था. तीसरा 8276 प्लॉट नंबर पर कंट्रोल रूम बना हुआ था. 1993 में इसे सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने जिला प्रशासन को मंदिर, मस्जिद की सिक्योरिटी के लिए दिया था. इस पर कंट्रोल रूम बनाया गया था. अब इसी 1700 वर्ग फीट के प्लॉट को प्रशासन को दिया गया है. उन्होंने कहा कि इस जमीन को लेकर कुछ मशवरा करने की वजह से समय लगा. लेकिन हम सब ने मिलकर यह तय किया कि यह प्लॉट हिंदू पक्षकारों को दे दिया जाए. प्रशासन ने इसके बदले में हमें 1000 स्क्वायर फीट का एक प्लॉट कॉरिडोर से बाहर दिया गया है. एसएस यासीन का कहना है कि हमने इस गर्म माहौल में एकजुटता का संदेश देने काम किया है
कानूनी प्रक्रिया से हुआ जमीन का हस्तांतरण
कमिश्नर दीपक अग्रवाल का कहना है कि सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की तरफ से अपने हिस्से की 1700 स्क्वायर फीट जमीन प्रशासन को दिए जाने के बाद अब श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परिसर में हाईटेक कंट्रोल रूम का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा. कमिश्नर ने बताया कि 1700 वर्ग फीट जमीन के बदले 1000 वर्ग फीट जमीन अंजुमन इंतजामियां मस्जिद को दे दी गई है. जिसकी विधिक प्रक्रिया पूरी कर ली गई है और आपसी सहमति के बाद यह निर्णय लिया गया है.
कमिश्नर ने बताया कि आर्टिकल 31 एक्सचेंज ऑफ प्रॉपर्टी के तहत संपत्तियों का हस्तांतरण हुआ है. विनिमय प्रणाली के तहत इन संपत्तियों के हस्तांतरण में 9.29 लाख रुपये के स्टांप ड्यूटी को चुकाया गया है. इस प्रक्रिया को दो चरणों में पूरा किया गया है. एक पक्ष ने 8 जुलाई को तो दूसरे पक्ष ने 10 जुलाई को रजिस्ट्री की प्रक्रिया पूरी की है. विनिमय पत्र राज्यपाल की स्वीकृति पर तैयार करवाया गया था.
एक पक्ष बाबा विश्वनाथ तो दूसरा पक्ष अंजुमन इंतजामिया
फिलहाल स्थानीय स्तर पर राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व नोडल अधिकारी और मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्री काशी विश्वनाथ मंदिर सुनील वर्मा की तरफ से जमीन की रजिस्ट्री किया गया है. कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने कहा प्रथम पक्ष के तौर पर उन्होंने हस्ताक्षर किए हैं. वहीं, द्वितीय पक्ष के हस्ताक्षर अंजुमन इंतजामियां मस्जिद के सेक्रेटरी अब्दुल बातिन नोमानी की तरफ से हुए हैं. यह जमीन सेंट्रल वक्फ बोर्ड की जमीन ज्ञानवापी मस्जिद से कुछ दूरी पर है.
ज्ञानवापी मस्जिद से जमीन का कोई संबंध नहीं
अंजुमन इंतजामियां मसाजिद कमेटी के संयुक्त सचिव यासीन का कहना है की ज्ञानवापी मस्जिद विवाद प्रकरण से इसका लेना-देना नहीं है. यह आपसी सहमति के तहत किया गया सौदा है. 1993 में प्रशासन को यह जमीन लीज पर दी गई थी और अब प्रशासन ने इसके बदले हमें दूसरे स्थान पर जमीन दी है. एक्सचेंज ऑफ प्रॉपर्टी को ध्यान में रखते हुए इस संपत्ति का हस्तांतरण किया गया है. जमीनों के हस्तांतरण में आदि विश्वेश्वर और ज्ञानवापी मस्जिद पक्ष की ओर से जमीनों की अदला-बदली की कार्रवाई की गई है.
सपा और भाजपा ने मुस्लिम पक्ष के फैसले का किया स्वागत
समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी ने ज्ञानवापी मस्जिद की तरफ से विश्वनाथ कॉरिडोर के लिए जमीन दिए जाने के प्रस्ताव को स्वागत किया है. दोनो पार्टी ने कहा कि मुस्लिम पक्ष की तरफ से विश्वनाथ कॉरिडोर के लिए जो जमीन दी गई वह स्वागत योग्य कदम है. देश का हर नागरिक हिंदुस्तानी है और हर धर्म एक दूसरे के धर्म का सम्मान करता है. जिस प्रकार से मुस्लिम धर्म के लोग आगे आए और जमीन विश्वनाथ कॉरिडोर के लिए दी है. यह हमारी अपनी संस्कृति की पहचान है कि हम सब लोग मिलकर रहते हैं. सभी धर्म के लोग आपस में मिल जुल कर रहते हैं और यही हमारी अपनी संस्कृति है. काशी की जो गरिमा है, ऐतिहासिक महत्व है, उसको ध्यान में रखते हुए एक बहुत बड़ा प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के नाम से बन रहा है. उसको देखने के लिए दुनिया भर से लोग आने वाले हैं. ज्ञानवापी मस्जिद की तरफ से जमीन दी गई जमीन से इस प्रोजेक्ट को विस्तार मिलेगा. बाहर से आने वाले लोगों को सहूलियत मिलेगी.
फिलहाल श्री काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर लंबे वक्त से विवाद चल रहा है. 1669 में औरंगजेब के समय मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाए जाने की बात कहते हुए प्रकरण को कोर्ट में मामला चल रहा है.
।।। जमीन की अदला-बदली पर क्या है आपत्ति।।।
ज्ञानवापी मस्जिद के मुस्लिम पक्षकारों द्वारा विश्वनाथ कॉरिडोर के लिए अपने हिस्से की 1700 वर्ग फीट जमीन सौंपने पर विश्वनाथ मंदिर प्रशासन द्वारा इसके बदले दुसरी जमीन की इस अदला-बदली को लार्ड विश्वेश्वरनाथ (स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर) के वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने अवैध करार देते हुए कोर्ट में जाने की बात कही है.
ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ धाम के बीच जमीन की हुई अदला-बदली में अब एक नया मोड़ सामने आ गया है. मुस्लिम पक्ष द्वारा 17 सौ वर्ग फीट जमीन प्रशासन की पहल पर विश्वनाथ कॉरिडोर को देने के बाद लार्ड विश्वेश्वरनाथ (स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर) के वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने सवाल खड़े कर दिए हैं.
विजय शंकर रस्तोगी ने बताया कि ज्ञानवापी पुलिस कंट्रोलरूम वाली जमीन अंजुमन इंतजामिया मसाजिद के अधिकार क्षेत्र में नहीं था और न कभी रहा है. इस जमीन की अधिकार को लेकर ज्ञानवापी व्यास परिवार ने कई आपत्तिया की हुई है। जमीन न ही वक्फ की रही है. जबकि इस जमीन को मुस्लिम पक्ष ने अपना मानते हुए ज्ञानवापी सुरक्षा वाली जगह विश्वनाथ मंदिर न्यास को दे दिया और रजिस्टर्ड डीड के जरिए न्यास ने ले लिया. इसके बदले 1000 स्क्वायर फीट जमीन मुस्लिम पक्ष को बांसफाटक पर एक भवन दे दिया गया है. उन्होंने कहा कि यह सब अवैध है. इस प्रक्रिया के विरुद्ध हम कोर्ट जाएंगे.
रस्तोगी के अनुसार जमीन वक्फ बोर्ड की नहीं थी, तब वह 1993 में लीज पर कैसे दे सकते हैं. उन्होंने कहा कि तथ्य को छिपाकर विश्वनाथ मंदिर न्यास ने जमीन लिया है. ये सारे कार्य अनधिकृत हुआ है.
वही दूसरी ओर ज्ञानवापी मस्जिद की व्यवस्था का संचालन करने वाले अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के संयुक्त सचिव एसएम यासीन ने बताया कि हमारे पास 3 प्लॉट है. एक 9131 प्लॉट नंबर, जिस पर मस्जिद है, दूसरा 8263 जो कॉमन पैसेज था. तीसरा 8276 प्लॉट नंबर पर कंट्रोल रूम बना हुआ था. 1993 में इसे सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने जिला प्रशासन को मंदिर, मस्जिद की सिक्योरिटी के लिए दिया था. इस पर कंट्रोल रूम बनाया गया था. अब इसी 1700 वर्ग फीट के प्लॉट को प्रशासन को दिया गया है. प्रशासन ने इसके बदले में हमें 1000 स्क्वायर फीट का एक प्लॉट कॉरिडोर से बाहर दिया गया है. यासीन का कहना है कि ज्ञानवापी मस्जिद विवाद प्रकरण से इसका लेना-देना नहीं है.