Total Samachar स्वावलंबी बन रही है महिलाएं

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राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल अनेक अवसरों पर महिला स्वावलंबन पर जोर देती है। वह समाज व देश की प्रगति में महिलाओं के योगदान को अपरिहार्य मानती है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त व स्वावलम्बी बनने का अवसर मिलना चाहिये। उन्हें प्रतिष्ठा एवं बराबरी का दर्जा मिलना चाहिए। क्योंकि परिवार में एक माँ के रूप में वह अपनी विशिष्ट भूमिका अदा करती है। इक्कीसवीं शताब्दी में हमारे देश की महिलाएं स्वावलम्बी बनकर आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही हैं। अनेक महिलाओं ने सामाजिक नैतिकता की बाध्यताओं को पार करते हुए घर तथा कार्यस्थल पर स्वयं को सफल उद्यमी एवं कार्यकारी व्यावसायिकों के रूप में साबित किया है। नए उद्यमों को आरंभ करने एवं उनका सफलतापूर्वक संचालन करने वाली महिलाओं ने विपरीत परिस्थितियों में भी उपलब्धियां अर्जित की हैं और दूसरों को प्रेरित भी कर रही हैं। आनंदीबेन पटेल ने अमर उजाला समूह द्वारा आयोजित वूमेन अचीवर्स एवार्ड समारोह विभिन्न क्षेत्रों में अद्वितीय योगदान देने वाली महिलाओं को सम्मानित किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि वर्तमान युग नारी शक्ति का युग है। महिला को आर्थिक स्वावलम्बन की चुनौती को स्वीकार करना होगा। केन्द्र सरकार का भी दृष्टिकोण महिलाओं के नेतृत्व वाले सशक्तिकरण को सुनिश्चित करने में है। सरकार ने कामकाज के हर क्षेत्र में महिलाओं की गरिमा को महत्व दिया गया है। आज सबसे गरीब महिलाएं जो सुरक्षित स्वच्छता और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी की समस्याओं का सामना करती थी। उन्हें शौचालय, रसोई गैस आदि से अधिक सुरक्षित स्वस्थ और स्वच्छ वातावरण मिला है।प्रधानमंत्री के नारी सशक्तिकरण के प्रयास बहनों की उपलब्धियों में दिख रहे हैं।

वानस्पतिक अनुसंधान संस्थान का निरीक्षण

इसके अलावा आनंदीबेन पटेल राष्ट्रीय वानस्पतिक अनुसंधान संस्थान,लखनऊ का भ्रमण किया। वहां हो रहे विभिन्न अनुसंधान कार्यों का अवलोकन किया। फर्न हाउस,मॉस हाउस, कैक्टस हाउस,बोन्साई हाउस,जन उद्भवन केन्द्र, जुरासिक गैलरी तथा साइकेड गृह का भ्रमण कर वहां किये जा रहे अनुसंधान कार्यों के बारे में अधिकारियों से जानकारी प्राप्त की। पौधे को बोन्साई बनाने की प्रक्रिया को भी देखा तथा राजभवन में बोन्साई पौधा बनाने का प्रशिक्षण देने की अपील की। राष्ट्रीय वानस्पतिक अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने बताया कि साइकेड्स को जीवित जीवाश्म माना जाता है, जिनका अपना प्राचीन वंश है तथा विकास की दृष्टि से इनकी एक विशिष्ट पहचान है। पुरा वनस्पति विज्ञान से जुड़ी खुदाइयों से प्राप्त साइकेडों के जीवश्म वर्तमान समय में पाये जाने वाले साइकेडों के समान ही हैं। उन्होंने बताया कि यह साइकेड परमियन काल से लगभग सवा दो सौ मिलियन वर्ष पूर्व में भी पाये जाते थे।

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