सत्यम सिंह, ब्यूरोचीफ, गुजरात
गुजरात हाई कोर्ट ने महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी द्वारा दायर एक याचिका को खारिज कर दिया, जिन्होंने गुजरात सरकार द्वारा ऐतिहासिक साबरमती आश्रम और अहमदाबाद में इसके परिसर के लिए 1,300 करोड़ की विकास योजना को चुनौती दी थी। सरकार कहा है कि, इस दौरान आश्रम का मुख्य हिस्सा प्रभावित नहीं होगा.
गुजरात सरकार ने हाई कोर्ट को बताया कि पुनर्विकास के दौरान, पांच एकड़ में फैले मुख्य आश्रम परिसर को छुआ तक नहीं जाएगा. महात्मा गांधी ने 1917 में इसकी स्थापना की थी. याचिकाकर्ता, तुषार गांधी ने यह कहते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था कि यह योजना “महात्मा गांधी की व्यक्तिगत इच्छाओं और वसीयत के विपरीत है और हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के मंदिर और स्मारक को कम कर देगी जो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय आगंतुकों को आकर्षित करता है. गुजरात सरकार ने अपने हलफनामे में यह सुनिश्चित करते हुए कहा कि आश्रम और संबंधित संपत्तियों का प्रबंधन करने वाले सभी मौजूदा ट्रस्टों के परामर्श से योजना पर अमल किया जा रहा है.
साबरमती आश्रम,, 1917 से 1930 तक गांधी का घर था और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के मुख्य केंद्रों में से एक के रूप में कार्य करता था।
कोर्ट ने राज्य सरकार की दलील पर भरोसा करते हुए कहा कि “प्रस्तावित परियोजना न केवल महात्मा गांधी के विचारों और दर्शन को बढ़ावा देगी जो कि समाज और मानव जाति के लाभ के लिए होगा.