महाराष्ट्रसरकार के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस तथा स्वयंसेवी संस्थाओं की ओर से ऐतिहासिक आगरा किले में पहली बार संपन्न होनेवाले शिवजयंती महोत्सव में आनेवाले सभी शिवप्रेमी नागरिकों को छत्रपति शिवाजी की अवमानना करनेवाले शिलालेख के बदले सही इतिहास पढने मिलेगा इस बात का मुझे संतोष है,” ऐसे शब्दों में उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल श्री राम नाईक ने आनेवाले शिवजयंती महोत्सव को शुभकामनाएं दी है.
महाराष्ट्र सरकारद्वारा आगरा किले में प्रस्तावित इस कार्यक्रम को लेकर पूर्व राज्यपाल ने किले से जुडी अपनी यादें उजागर की. आगरा विश्वविद्यालय के कुलाधिपती के नाते श्री नाईक जब पहली बार आगरा गए थे, तो स्वाभाविक रूप से किसी भी महाराष्ट्र से आनेवाले व्यक्ति की तरह वें भी शिवाजी का इतिहास जुडा होने के कारण आगरा किला देखने गए थे. लेकिन किले में जहाँ औरंगजेब और शिवाजी की भेंट हुई थी उस स्थान पर लगाया शिलालेख पढ़ कर श्री नाईक आगबबुला हुए थे. छत्रपति की अवमानना करनेवाले उस शिलालेख पर लिखा था “शिवाजी औरंगजेब से मिलने 1666 में आए थे और आगरा की गर्मी से त्रस्त होकर बेहोश होने लगे थे और उन्होंने सहारे के लिए खम्भा पकड़ लिया था” इतिहास गवाही देता है कि किस वीरता से औरंगजेब को तपाक से उस जगह छत्रपति शिवाजी ने ललकारा था. स्वाभाविक था कि यह शिवाजी की अवमानना करनेवाला शिलालेख आगरा किले से हटाने के लिए श्री राम नाईक ने पुरातत्व अधिकारीओं से कहा. आखिरकार शिलालेख बदला गया. 23 जुलाई 2017 को फिर एक बार आगरा किले पर जा कर श्री नाईक ने स्वयं पुष्टि कर दी कि सही शिलालेख लगा है. उसी समय किले के द्वार पर छत्रपति शिवाजी का जो अश्वारुढ शिल्प है उसके रखरखाव व सुशोभित करने का जिम्मा श्री राम नाईक ने आगरा विश्वविद्यालय को सौंपा.
चुंकि अब इसी किले पर आनेवाले 19 फरवरी को पहली बार महाराष्ट्र की सरकार शिवजयंती मनाएगी इस बात पर पूर्व राज्यपाल श्री राम नाईक ने संतोष जताया.