विशाल काय वृक्षों की शोभा और जीवजंतु के लिए उसके लाभ अमूल्य होते हैं. एक समय था जब वन आच्छादित क्षेत्र पर्याप्त मात्रा में हुआ करते थे. गांवों में बाग लगाने का चलन था.
समय के साथ इस स्थिति में बदलाव हुआ. विकास की क़ीमत प्रकृति को चुकानी होती है. वनों का क्षेत्र घटता गया. बागवानी के प्रति रुझान बहुत कम हो गया.
महानगर कंक्रीट के जंगलों में बदलने लगे. पक्षियों का आना कम हो गया. उनकी कलरव के लिए कान तरशने लगे. उनके बिना ही मॉर्निंग को गुड मान लिया गया. बहुमंजिला इमारतों में जगह भी नहीं रही.
ऐसे में बोनसाई से ही हरियाली का इंतजाम होने लगा. लखनऊ राजभवन में बोनसाई का स्टॉल लगाया गया था. इसके माध्यम से बोनसाई लगाने उसे सँभालने की विधि बताई गई.