साल 2004 में हॉलीवुड फिल्म ‘द टर्मिनल’ आई थी. इस फिल्म में विक्टर नवरोस्की का किरदार एक्टर टॉम हैंक्स ने निभाया था. फिल्म में विक्टर नवरोस्की अमेरिकी के जॉन केनेडी एयरपोर्ट पर फंस जाते हैं, क्योंकि उन्हें अमेरिका में एंट्री नहीं दी जाती है और ना ही उन्हें अपने वतन वापस जाने दिया जाता है, क्योंकि वो सैन्य तख्तापलट का हिस्सा थे. ये कहानी रील की, लेकिन रियल लाइफ में भी इससे ही मिलती-जुलती एक कहानी सामने आई है और इसकी वजह लॉकडाउन है.
ये कहानी जर्मन नागरिक एगर जैबत की है. एगर दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशल एयरपोर्ट पर थे. वो वियतनाम से दिल्ली पहुंचे थे और इंस्तांबुल की फ्लाइट लेनी थी. लेकिन लॉकडाउन ने हालात बदल दिये. भारत ने इंटरनेशनल फ्लाइट्स पर पाबंदी लगा दी. लिहाजा, एगर 18 मार्च से ही एयरपोर्ट पर फंस गये.
कहानी सिर्फ इतनी ही नहीं है, फिल्म द टर्मिनल के नायक की तरह एगर जैबत भी कोई आम इंसान नहीं हैं. जर्मनी में एगर के खिलाफ कई क्रिमिनल केस दर्ज हैं. हालांकि, एगर से मिलने जब विदेश मंत्रालय की टीम एयरपोर्ट पहुंची तो उन्हें बर्लिन की फ्लाइट भी ऑफर की गई, लेकिन एगर ने मना कर दिया. आजतक को जानकारी मिली है, उसने जर्मनी में क्रिमिनल केस होने के चलते ही बर्लिन जाने से इनकार किया.
भारतीय अथॉरिटी द्वारा एगर को एयरपोर्ट पर ही ट्रांजिट एरिया में रखा गया. एगर को यहां टाइट सिक्योरिटी में रखा गया. साथ ही खाना, कपड़े और मच्छरदानी भी उपलब्ध कराई गई.
हालांकि, 55 दिन बाद एगर के लिये अच्छी खबर आई और उन्हें एम्सटर्डम की फ्लाइट में भेज दिया गया. इस तरह द टर्मिनल फिल्म के नायक की तरह ट्रांजिट एरिया में लंबा वक्त गुजारने के बाद जर्मन नागरिक सोमवार-मंगलवार की दरमियानी रात करीब 3 बजे केएलएम फ्लाइट से एम्सटर्डम के लिए रवाना हो गया है. इससे पहले एगर की कोरोना जांच भी की गई थी, जो निगेटिव आई है.