डॉ दिलीप अग्निहोत्री
कोरोना संकट ने परेशानी बढ़ाई है, लेकिन इसी के साथ अवसर भी प्रदान किया है। भारत अपनी संकल्प शक्ति से आगे बढ़ेगा। कोरोना संकट से मुक्त होगा। प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भरता को गति देने के लिए आर्थिक पैकेज की घोषणा की। बीस लाख करोड़ रुपये का यह पैकेज भारत को मजबूत बनाएगा। पहले यह कल्पना भी मुश्किल थी कि दिल्ली से भेजा गया पूरा धन गरीबों तक पहुंचेगा। लेकिन पिछले दिनों हुए सुधारों ने इसे संभव बना दिया। आत्मबल से ही आत्मनिर्भरता आएगी। सप्लाई चेन मजबूत होगी।
इन्हीं परिस्थियों में गरीबों के संयम को भी दुनिया ने देखा। इन्होंने बहुत कष्ट झेले है। अब इनके ताकतवर बनाया जाएगा। इन सबको आर्थिक पैकेज का लाभ मिलेगा। इस प्रकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बचाव के साथ विकास पर बल दिया। लॉक डाउन के नियमों के पालन का आह्वान किया। बताया कि
लॉक डाउन का चौथा चरण नए रंग का होगा। भारत जब सर्वाधिक विकसित व समृद्ध था,तब भी हमने विश्व कल्याण की ही कामना की थी। हमारा आचरण इसी के अनुरूप रहा है। आज वैश्विक संकट के दौर में भी भारत इसी विरासत के अनुरूप आगे बढ़ रहा है।
भारतीयों की संकल्प शक्ति प्रबल है। आज चाह व राह दोनों है। इसके बल पर भारत आत्म निर्भर बनेगा। इकोनॉमी, सन्फ्रास्टक्चर,सिस्टम,डेमोग्राफी,डिमांड को भारतीय विचारों के अनुरूप कार्य करना आवश्यक है। अनेक देशों में बयालीस लाख लोग कोरोना से संक्रमित हुए। तीन लाख से अधिक लोगों के जीवन पर इसका कहर टूटा। यह अभूतपूर्व संकट है। लेकिन हारना,टूटना, बिखरना मंजूर नहीं है। अपना बचाव करते हुए आगे बढ़ना है। हमारा संकल्प इस संकट से विराट होगा। यह माना गया था कि इक्कीसवीं सदी भारत की होगी। यह हमारा सपना ही नहीं जिम्मेदारी भी है।
इसका मार्ग आत्मनिर्भर भारत है। राष्ट्र के रूप में हमको संकल्प लेना था।
अब प्रतिदिन दो लाख से पीपीआई किट्स व एन नाइंटिफाइव मास्क बनने लगे है। पहले इनकी संख्या नगण्य थी।
मानव केन्द्रित विकास की स्वीकार्यता बढ़ रही है।
भारत जब आत्मनिर्भर होने की बात करता है तो विश्व के कल्याण की भी चिंता रहती है। क्योंकि हमारी संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम की है। हम पृथ्वी को एक मानते है, उसे माता और अपने को उसका पुत्र, यह भाव ही विश्व कल्याण का मार्ग है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मानव कल्याण की प्रेरणा देता है। पर्यावरण के संरक्षण का सन्देश विश्व को भारत ने दिया। स्थानीय उत्पाद खरीदने चाहिए,उनके प्रयोग में गर्व का अनुभव करना चाहिए। खड़ी व हैंडलूम को अपना कर भारत के लोगों ने उदाहरण पेश किया है।