वाराणसी से वत वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट नवनीत रत्न पाठक के कैमरे की नजर से… ट्रेन की खिड़की से बाहर देख रहे ये बच्चों की आखों में ये आशा दिख रही हैं कि कोई न कोई भी दो वक्त की रोटी उस ट्रेन में जरूर देगा…..

वाराणसी से  वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट नवनीत रत्न पाठक के कैमरे की नजर से… ट्रेन की खिड़की से ये बेबश चेहरा इस बात की ओर इशारा कर रहा हैं कि ये वतन वापसी दौरान उन्हे भूख प्यास को खत्म करने के लिये कोई न कोई फरिश्ता जरूर आयेगा….

वाराणसी से वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट नवनीत रत्न पाठक के कैमरे की नजर से…ये तस्वीर ये बताने के लिये काफी हैं कि इस वतन वापसी में बच्चें भी अपने पापी पेट के लिये कुछ फरिश्तों से दो जून की रोटी से भीख मांग रहे थे….

वाराणसी से वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट नवनीत रत्न पाठक के कैमरे की नजर से… खाने पीने के सामनों का ऐसा मंजर शायद कभी दोबोरा न दिखने को मिले। कोरोना ने इस लोगों को पापी पेट के लिये लूटपाट करने तक के लिये मजबूर कर दिया हैं।

वाराणसी से वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट नवनीत रत्न पाठक के कैमरे की नजर से… जान को जोखिम डाल कर पापी पेट को भरने की कवायद….

वाराणसी से वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट नवनीत रत्न पाठक के कैमरे की नजर से… लूट लूट और सिर्फ लूट…. ऐसा हम इस लिये कह रहे हैं कि वतन वापसी यात्रा में प्रवासी मजदूरों के साथ साथ उनके परिवार भी भूख प्यास से इस कदर परेशान हो रहे थे कि जिसको जहां जितना भी खाने का सामान मिल रहा हो वो सामान लूट कर अपना और अपने परिवार का पेट भरना चाहता था।

वाराणसी से वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट नवनीत रत्न पाठक के कैमरे की नजर से… फोटो में साफ दिख रहा हैं कि ये चिप्स का पैकेट इन भूखे प्रवासी लोगों के लिये इस वक्त की हीरे जवरात से कम नही हैं।

वाराणसी से  वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट नवनीत रत्न पाठक के कैमरे की नजर से… जो मिला, जैसे मिला, बस मिलना चाहिये….. ये इस की दर्द दे दास्तां हैं।

वाराणसी से वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट नवनीत रत्न पाठक के कैमरे की नजर से… ये तस्वीर चीख चीख के कह रही हैं कि क्या करें पापी पेट का जे सवाल हैं।

वाराणसी से वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट नवनीत रत्न पाठक के कैमरे की नजर से… इस तस्वीर इस बात की ओर इशारा कर रही हैं कि इंसान को जब भूख प्यास सताती हैं तो वो स्वार्थी हो जाता हैं।

वाराणसी से वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट नवनीत रत्न पाठक के कैमरे की नजर से… ये तस्वीर बताती हैं कि किसी को मिले न मिले अपुन को तो मिलना ही चाहिये….

वाराणसी से वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट नवनीत रत्न पाठक के कैमरे की नजर से… इस प्यारी सी बिटीयां की नजर ये कही रही हैं कि अभी पेट भरा नही…. कोई मुझ पर भी नजरे इनायत कर दो……

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