सत्यम ठाकुर, ब्यूरो चीफ, गुजरात
गुजरात। सुप्रसिद्ध अंबाजी में गब्बर तलहटी पे अपने आश्रम में रहकर साधना करने वाले ओर 82 सालो से जल और अन्न त्यागने वाले चुंदड़ीवाले माताजी प्रहलाद जानी आज सुबह 2.45 मिनिट पर ब्रह्मलीन हो गये जिसको लेकर उनके भक्त गहरे शोक में डूब गये है..
अम्बाजी में गब्बर तलहटी पर एक गुफा में साधना करने वाले प्रहलाद जानी महाराज ने 11 साल की उम्र में ही संसार की मोह माया को त्याग कर वो पिछले 82 सालों से बिना अन्न ओर जल पिये जी रहे थे। इस बातो को लेकर लोगों में कई तरह के भ्रातिंया बनी हुई थी। बिना पानी और खाये बीना कोई कैसे जी सकता है इस बात को लेकर लोगों को सहसा विश्वास नही होता था। लेकिन लोगों की आशंकाओं को लेकर डॉक्टरों ने अहमदाबाद के स्टर्लिंग हॉस्पिटल में 2004 और 2010 में प्रहलाद जानी पर शोध किया था। शोध से डॉक्टर भी हैरान रह गये थे क्योंकि प्रहलाद जानी ने पिछले कई बरसो से अन्न ओर पानी का त्याग कर दिया था वो बात सच निकली थी…
पिछले कुछ महीनों से चुंदड़ीवाले माताजी की तबियत खराब थी जिसको लेकर उनका कोरोना टेस्ट भी करवाया गया था लेकिन टेस्ट नेगेटिव आया था जबकि उनको जुकाम ओर खासी थी इसलिए डॉक्टर ने उनको दवाई लेने को कहा था मगर वो पानी नही पीते थे इसलिये उन्होंने अपने शरीर पर आयुर्वेदिक लेप लगाना शरू किया था। इसी दौरान उन्होने बीमार होने के बावजूद अपने गांव चराडा जाने की इच्छा जताई थी। जिसको लेकर कई दिनों से वो अपने वतन में थे और आज सुबह ही वो अचानक इस दुनिया को छोड़कर ब्रह्मलीन हो गये.
जिसके बाद उनके पार्थिव देह को उनके अम्बाजी के आश्रम में लाया गया और भक्तो के दर्शन के लिये दो दिन रखा जाएगा और गुरुवार को सुबह 8.15 मिनिट पर आश्रम में ही उनको समाधी दी जायेगी .फिलहाल कोरोना के कारण लोक डाउन चल रहा है जिसके चलते चुंदड़ीवाले माताजी के अनुयायीओ ने भक्तो को आश्रम में न आने की अपील की है और माताजी के दर्शन फेसबुक और यूट्यूब से ही करे जिसके कारण सोसल डिस्टेन्स का पालन हो सके..चुंदड़ीवाले माताजी के ब्रह्मलीन होने से उनके देश-विदेश में बसे भक्त शोक में डूब गये है. उनके पार्थिव शरीर को भक्तो के दर्शन के लिये रखा गया है। गुरुवार को सुबह उनको समाधि दी जायेगी।