डॉ दिलीप अग्निहोत्री
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल कभी स्वयं भी शिक्षिका थी। आज कुलाधिपति के रूप में भी वह विद्यार्थियों के हित के लिए उतनी ही संवेदनशील है। कुलपतियों से ऑनलाइन संवाद में उनके विचार इसी के अनुरूप थे। उन्होंने विद्यार्थियों हितों के प्रति विश्वविद्यालयों की जिम्मेदारी तय की। कहा कि विश्वविद्यालय ऐसी कोई गलती नहीं करें, जिसका खामियाजा छात्रों को बिना किसी गलती के भुगतना पड़े। उनकी समस्यायों का निस्तारण करना चाहिए राजभवन तक किसी भी तरह की कोई शिकायत नहीं आनी चाहिए। इसके अलावा आनन्दी बेन पटेल ने निर्देश दिए कि विश्वविद्यालयों का स्तर उठाने का कारगर प्रयास करना चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए राज्य सरकार प्रयत्नशील है। वर्तमान संकट की चुनौती के बीच विश्वविद्यालयों सुचारू संचालन सुनिश्चित होना चाहिये। परीक्षा, परीक्षाफल, प्रवेश प्रक्रिया,नये सत्र के आरम्भ आदि के प्रयास करने चाहिए।।भारत के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय की श्रेणी में लाने के लिए रणनीति बनानी चाहिए। प्रदेश के सभी विश्वविद्यालय अच्छी नैक ग्रेडिंग प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध बनें। राजभवन से समस्त राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कुलाधिपति ने सार्थक निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि कुलपति एवं अध्यापकों की नियुक्ति छात्रों के लिये ही होती है, ऐसे में आप सभी लोगों का यह संयुक्त दायित्व बनता है कि छात्र हित को सर्वोपरि रखते हुए निष्ठापूर्वक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें।
कुलपति अध्यापकों एवं छात्रों को विश्वास में लेकर कार्य करेंगे तभी विश्वविद्यालय का नाम रोशन हो सकेगा। कुलपति सभी समितियों में छात्रों को भी शामिल करें क्योंकि इनके शामिल रहने से कई प्रकार की समस्याएं स्वतः खत्म हो जायेंगी। कुलपति स्वकेन्द्रित होकर कार्य न करें, बल्कि अध्यापकों की क्षमता का भरपूर उपयोग करें क्योंकि सभी में सभी गुण नहीं होते। विश्वविद्यालय राज्य सरकार,केन्द्र सरकार एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के दिशा।निर्देशों के अनुसार ही परीक्षा करायें। इसमें किसी भी तरह की कोई शिकायत नहीं आनी चाहिए। नैक द्वारा निर्धारित बिन्दुओं को ध्यान में रखते हुए शैक्षणिक कैलेण्डर बनाये तथा उसी के अनुरूप कार्य करें।कुलपति एवं रजिस्ट्रार छात्रों की शिकायतों को सुनने के लिए सप्ताह में एक दिन एक घंटे का समय निर्धारित करें तथा उस अवधि में केवल उनकी शिकायतों को सुनकर निस्तारण करने का काम करें।