ज्ञानेंद्र शुक्ला, वरिष्ठ पत्रकार, लखनऊ.

42 महीने में यूपी पुलिस ने मुठभेड़ के दौरान मार गिराए 124 अपराधी, जाति-मजहब के चश्मे से दुनिया देखने को आदी हो चुके इस सूबे के लोगों के लिए ये आंकड़े अहम हैं..

ढेर होने वालों में 47 अल्पसंख्यक, 11 ब्राह्मण, 8 यादव , जबकि अन्य 58 में ठाकुर ,बैश्य, पिछड़े और एससी एसटी जाति के बदमाश शामिल हैं, 31 मार्च 2017 से लेकर 9 अगस्त 2020 तक हुए पुलिस एनकाउंटर में ब्राह्मण जाति के 11 अपराधी मुठभेड़ में मारे गए, इनमें एक अपराधी बस्ती और दो लखनऊ में मारे गए, 6 कानपुर नगर के बिकरू गांव में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या में शामिल थे.

अब खरी बात ये कि इनमें से ज्यादातर वे दुर्दांत थे जिन्हें सजा दिलवा पाने में, सलाखों के पीछे रोक पाने में देश का मौजूद न्यायिक तंत्र कितना लचर है हर कोई जानता है, ये टपकाए न जाते तो आम लोगों का जीना मुहाल करते इन्हें देखकर और इनकी सरपरस्ती में न जाने कितने ‘रक्तबीज’ पनपते, योगीराज में मिली छूट के चलते यूपी पुलिस ने इन्हें मारकर समाज से जरायम के बोझ को उतारने का शुभ कार्य किया है, लानत उन सियासी गिद्धों पर है जिनका कलेजा कथित ब्राहम्ण उत्पीड़न पर फट रहा है, इनके मगरमच्छी आंसूओं को समझ न पाने वाले और नराधम ब्राम्हण अपराधियों में अपने आदर्श तलाशने वाले या तो मूढ़ हैं या धूर्त, इन्हें आत्ममंथन की आवश्यकता है,

प्रभु राम इन्हें सदबुद्धि दें……..,

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