डॉ दिलीप अग्निहोत्री

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ दिन पहले भारत की शिक्षा नीति संबोधन दिया था। उनका कहना था कि यह सरकार की नहीं बल्कि भारत की शिक्षा नीति है। देश की अनेक महत्वपूर्ण नीतियां भारत की होती है। सरकारें आती जाती रहती है,लेकिन राष्ट्रीय हित से जुड़ी नीतियां कायम रहती है। नई शिक्षा नीति में भी राष्ट्रीय हित चिंतन का भाव समाहित है। इसमें सांस्कृतिक विरासत है,तो आधुनिक परिस्थितियों के अनुरूप प्रगति का विचार भी है। नरेंद्र मोदी ने नई सदी की स्किल्स का उल्लेख किया। इसके दृष्टिगत क्रिटिकल थिंकिंग, क्रिएटिविटी और कोलेबोरेशन,क्यूरोसिटी कम्युनिकेशन का सूत्र भी दिया। नई शिक्षा नीति में इनका ध्यान रखा गया है। इसमें सिलेबस कम होगा। मूलभूत विचारों को बढ़ावा मिलेगा। लर्निंग को इंटिग्रेटिड एवं इंटर-डिसिप्लीनेरी,फन बेस्ड और कंप्लीट एक्सपीरियंस बनाया जाएगा। इसके लिए एक नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क डेवलप किया जाएगा।

देश के प्रत्येक क्षेत्र की अपनी कुछ न कुछ खूबी है,पारंपरिक कला,कारीगरी, प्रोडक्ट्स हैं। विद्यार्थी इनसे सीख सकते है। स्कूल में भी ऐसे स्किल्ड लोगों को बुलाया जा सकता है। मूलभूत शिक्षा पर ध्यान दिया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत फाउंडेशनल लिटरेसी एंड न्यूमेरेसी के विकास को एक राष्ट्रीस मिशन के रूप में लिया जाएगा। शिक्षा को परिवेश से जोड़ा जाएगा। यह शिक्षा व्यवस्था अब गांवों व गरीब के घर तक पहुंचेगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति को उतने ही प्रभावी तरीके से लागू करना है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति नए भारत की नई उम्मीदों और नई आवश्यकताओं की पूर्ति का माध्यम है। इसके पीछे पिछले चार पांच वर्षों की कड़ी मेहनत की गई थी। हमारी शिक्षा व्यवस्था पुराने ढर्रे पर ही चल रही थी।

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