सलिल पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार, मिर्जापुर.

 

नेता-जेई दोनों भिड़े, गुटबाजी भई तेज,
‘भूत’ साथ देने चला देख तमाशा देख ।

मिर्जापुर । साल भर हाई वोल्टेज वाले दिमाग को विशेष पर्वों पर लो वोल्टेज पर कर लेना चाहिए । वैज्ञानिक भी तरीका है HT लाइन को LT लाइन पर कन्वर्ट जब किया जाता है तभी प्रकाश भी मिलता है और AC (एयरकंडीशनर) की तरावट भी तभी मिलती है। खासकर पितृपक्ष चल रहा है । इसमें थोड़ा कूल-कूल होकर घर-घर में पितरों की तृप्ति हेतु अनुष्ठान किए जाते हैं । जब मारकाट की नौबत रहेगी तब धर्म-कार्य अधर्म में बदल सकता है।

बिजली विभाग में 33 हजार KVA के दो तार आपस में टच

सभी जानते है कि इस स्थिति में स्पार्क होता है और आग भी लगती है। ऐसा ही हुआ बिजली विभाग में एक जेई और एक भाजपा के बूथ स्तरीय कार्यकर्ता में। जेई तो करंट की पढ़ाई किए है तो दूसरी ओर नेता भी आजकल सत्ता के ट्रांसफारमर से सीधे ऊर्जा पा रहे हैं। दोनों 33 हजार केवीए वाले हैं। लिहाजा ब्लास्ट वाला वीडियो सोशल मीडिया की शोभा बढ़ा रहा है।

दांव-पेंच शुरू

इस वीडियो की सत्यता, सूक्ष्मता और सत्चरित्रता का विषय दोनों टीमों के कंट्रोल रूम पर छोड़ दिया जाए लेकिन ऐसे मौकों पर बहती गंगा में हाथ धोने की कला के विशेषज्ञ अलग-अलग कारणों से लग गए है। कुछ ‘भूत’ भी लगे हैं । यह भूत-प्रेत वाले भूत नहीं बल्कि सत्ता के भूतपूर्व भी लगे हैं ताकि वर्तमान को भी झटका दिया जा सके । हलांकि दिमागी संतुलन का तार दोनों ओर से स्पार्क किया है लेकिन सरकारी सेवक को अरदब में लेना आसान और फायदेमंद होता है इसलिए शतरंज के ढाई घर की चाल शुरू हो गई है।

हिंदी-दिवस और मायूस चेहरे

हिंदी दिवस के मात्र 24 घण्टे शेष रह गए हैं। मतलब रविवार का एक दिन का ही फासला है और 14 सितंबर को हिंदी-दिवस इठला कर आएगा ही। कुछ हफ़्तों पहले से अपने गुट के लोगों खासकर शिष्याओं को लॉलीपॉप खिलाने का वायदा एक नए अवतारी सन्तजी किए हुए हैं। लिखित में चिल्लाने भी लगे कि हमें सम्मानित करो लेकिन शनिवार तक कहीं से न्योता-हकारी न मिलने से वे हकलान हैं। मजबूरी में कछेक कवियों का नाम लेकर और गुट-गोष्ठी की जगह कविसम्मेलन लिखकर शनिवार को ही हाइलाइट होने का खाका तैयार कर लिए हैं। मामला लीक हो गया कि दो दिन पहले ही ‘गोष्ठी हुई’ के मैटर के पीछे क्या राज है ? तो वे चुपके से गली धर लिए।

कोरोना सबको धरता है

कोरोना स्वभाव देखकर नहीं बल्कि शरीर की हालत देखकर धरी-धरा करता हैं। शरीर में बीमारी है तो धरने का चांस बढ़ जाता है लेकिन कुछ लोगों को यह दलील देते देखा गया कि कोई बहुत मृदुभाषी है तो उसे कैसे कोरोना हो गया ? इस दृष्टि से तो सिर्फ पुलिस वालों को ही कोरोना होना चाहिए क्योंकि वे ही क्रिमनल्स को डील करते करते कठोर हो जाते हैं।

यह तेल-पानी का मामला है

यदि कोई यह कहे कि मिस्टर क बहुत अच्छे व्यक्ति हैं और बहुत मृदुल वाणी के हैं, उन्हें कैसे कोरोना हो गया तो यह ‘मिस्टर क’ को झांसा देना ही है। किसी और मौके पर यह विशेषण तो चलता लेकिन कोरोना मामले में यह तेल-पानी अध्याय के बाहर का मामला है।

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