नए शो से खुद को जोड़ते हुए अपने पिता की यादों को किया ताजा
अमित मिश्रा ( मुम्बई ब्यूरो चीफ)
सोनी सब ने हाल ही में हल्का-फुल्का स्लाइस-ऑफ़-लाइफ शो ‘तेरा यार हूं मैं’ लॉन्च किया था। यह शो एक पिता राजीव बंसल (सुदीप साहिर) के इर्द-गिर्द घूमता है, जो अपने बेटे ऋषभ का (अंश सिन्हा) का दोस्त बनने की कोशिश करता हैं। राजीव को हमेशा से अपने पिता के साथ दोस्ताना रिश्ता न होने का पछतावा रहता है और वो अपने टीनेजर बेटे ऋषभ के साथ ऐसा नहीं करना चाहता। दिलों को छू लेने वाली इस मनोरंजक कहानी ने दर्शकों के दिलों में एक खास जगह बना ली है क्योंकि वे शो और उनके किरदारों के साथ खुद को जोड़ पाते हैं।
यह कहानी कुछ टेलीविज़न सितारों का भी दिल छूने में सफल रही है क्योंकि सभी ने अपनी पुरानी यादों को ताज़ा करते हुए अपने पिता के साथ सम्बन्धो के बारे में बात की, आइये देखते हैं किसने क्या कहा….
कृष्णा भारद्वाज (तेनाली रामा में रामा )
मैं बचपन से ही अपने पिता के सबसे करीब रहा हूं। मेरे पिता भी अभिनेता थे, इसलिए मैं हमेशा उनमें ही सबकुछ देखता था यहां तक कि मेरे कॅरियर की पसंद भी उन्हीं से प्रेरित थी। जब मैं बड़ा हो रहा था, मेरे पिता मेरे लिए एक दोस्त की तरह थे। वह हमेशा मेरे लिए मेरे साथ खड़े रहे, मेरे जीवन में मार्गदर्शक बने और साथ ही उन्होंने मुझे मेरी गलतियों को शेयर करने की इजाजत भी दी। हर बच्चे की इच्छा होती है कि उसके पिता कहीं न कहीं उसके दोस्त बनें, जिनके साथ वो अपनी सोच और चिंताओं को शेयर कर सके। मैं खुश हूं कि मेरे पिता के साथ मेरा उस तरह का रिश्ता है जहां मैं उनसे हर चीज़ शेयर कर सकता हूं और वो मुझे शायद मेरी सभी परेशानियों का सबसे अच्छा समाधान देते हैं।
‘तेरा यार हूं मैं’ एक अद्भुत कहानी है जो मुझे अपने पिता के साथ बिताए गए कुछ खुबसूरत दिनों में वापस ले आती है। मैं अपने परिवार से अलग रहता हूं लेकिन जब भी यह शो देखता हूं तो हमेशा ये मुझे अपने पिता के करीब होने का अहसास होता है, और इससे मेरे चेहरे पर हर समय मुस्कान आ जाती है।
युक्ति कपूर (मैडम सर में करिश्मा सिंह की भूमिका में)
मुझे ‘तेरा यार हूं मैं’ के कॉन्सेप्ट से प्यार हो गया है। यह देखना वाकई बहुत अच्छा है कि कैसे पिता अपने बेटे का दोस्त बनने के लिए कड़ी मेहनत करता है। आज के समय में, जब बहुत कुछ चल रहा है, यह माता-पिता के लिए बहुत ज़रूरी है कि वो उनके बच्चों के दोस्त बनें। बच्चों को भी आज किसी ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जिस पर वह विश्वास कर सकें और उसके साथ हर तरह की बातें कर सकें।
जब मैं बड़ी हो रही थी, मेरे पिता में ही मुझे मेरा सबसे अच्छा दोस्त मिला। मैं उनसे अपनी ज़िंदगी के बारे में हर छोटी छोटी चीज़ बताती थी जिसमें स्कूल बंक करने से लेकर रिश्ते, दोस्ती, काम सब तरह की बातें शामिल हैं। वह मुझे हमेशा कहते थे ‘बेटा, जो भी तुम करो, हमें बता कर करो ताकि जब भी तुम्हें ज़रूरत हो हम तुम्हें मुश्किलों में मदद कर सकें’। इसलिए मैं उनसे सभी बातें करने में बहुत ही सहज थी क्योंकि वो गुस्सा करने के बजाय मुझे हमेशा सुनते थे। उनका सेंस ऑफ़ ह्यूमर बहुत ही अच्छा है और वो मुझे हर चीज़ मज़ेदार अंदाज़ में सिखाते हैं। एक दोस्त होने के नाते, वह एक बहुत ही अच्छे पिता हैं और और मैंने हमेशा अपने जीवन के हर चरण में उनको ही आइडल की तरह देखा है।
देव जोशी (बालवीर रिटर्न्स में बालवीर की भूमिका में)
बचपन से ही, मेरे पिता मेरे सबसे अच्छे दोस्त रहे हैं। मेरे एक्टिंग कॅरियर की वजह से, मैं नियमित रूप से स्कूल और कॉलेज नहीं जा पाता हूं, वहां मेरा कोई भी सबसे अच्छा दोस्त नहीं है। हालांकि, मेरे पिता हमेशा मेरे सबसे अच्छे दोस्त की तरह व्यवहार करते हैं, खुलकर मुझसे बात करते हैं, मेरे साथ शरारत करते हैं, सभी बातें मेरे साथ शेयर करते हैं और मुझे सलाह भी देते हैं। आज भी, मेरे पास मेरे पिता का नम्बर ‘बीएफएफ (बेस्ट फ्रेंड फॉरएवर)’ से मेरे फ़ोन में सेव है। बच्चे और उसके माता-पिता आमतौर पर पीढ़ी के अंतराल के बारे में चिंता करते हैं और सोचते हैं कि दूसरे व्यक्ति को समझ नहीं आएगा। मुझे लगता है कि इस इस धारण को मन से हटाकर एक दूसरे का दोस्त बनना चाहिए और एक-दूसरे से बहुत कुछ सीखना चाहिए।
‘तेरा यार हूं मैं’ निज़ी तौर पर मेरे पसंदीदा शोज़ में से एक है, यह दिल छू लेने वाली कहानी है। पूरा शो वाकई जुड़ने लायक है, क्योंकि इस तरह की घटनाएं आज के समय में भी हो रही हैं। बच्चों को लगता है उनके पिता उन्हें या आज के दौर के ट्रेंड्स को नहीं समझते। जबकि, एक पिता हमेशा अपने बेटे के करीब आने और उसका दोस्त बनने के लिए हमेशा कड़ी मेहनत करता है, चाहे इसके लिए उन्हें सोशल मीडिया ही क्यों न इस्तेमाल करना पड़े जिसे उन्होंने पहले कभी इस्तेमाल नहीं किया। यह एक खूबसूरत कहानी है।
आशी सिंह (अलादीन: नाम तो सुना होगा में निभा रही हैं यास्मीन की भूमिका)
‘तेरा यार हूं मैं’ का कॉन्सेप्ट मुझे वाकई में बहुत पसंद है क्योंकि इसके पीछे बहुत ही ताज़ा और खूबसूरत विचार है, जहां पिता अपने बेटे का दोस्त बनने की कोशिश कर रहा है। मुझे लगता है इस शो को देखने के बाद बहुत सारे पेरेंट्स इसके अच्छे पहलू से प्रभावित हो सकते हैं। मेरा मानना है कि पेरेंट्स के लिए बच्चों का दोस्त बनना बहुत ही ज़रूरी है क्योंकि इससे बच्चों के लिए उनके पेरेंट्स के साथ खुलना और बिना किसी डर के उन तक पहुंचना थोड़ा आसान हो जाता है, मुश्किल की घड़ी में भी।
मेरे पिता कभी मेरे दोस्त नहीं थे और मैं हमेशा से अपनी मां के करीब रही हूं। भले ही वो मेरे साथ बहुत ज़्यादा खुले नहीं हैं लेकिन वो सख्त भी नहीं हैं। यहां तक कि, उन्होंने मुझे मेरे निर्णय लेने की पूरी स्वतंत्रता दी है, मुझे यकीन है कि उन्हें मुझ पर पूरा भरोसा है।
‘तेरा यार हूं मैं’ में पिता और बेटे की दिल को छू लेने वाली मनोरंजक कहानी देख सकेंगे, हर सोमवार से शुक्रवार-रात 9 बजे, सोनी सब पर