डॉ दिलीप अग्निहोत्री

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मन की बात में राजनीतिक विषयों से बचते रहे है। किंतु इस बार किसानों के संबन्ध में चर्चा अपरिहार्य हो गई थी। दो दिन पहले ही विपक्षी पार्टियों ने कृषि विधेयकों के विरोध में भारत बंद किया था। प्रधानमंत्री इस प्रकार की राजनीति से अविचलित दिखाई दिए। उन्होंने दृढ़ता दिखाई। कहा कि किसानों की परेशानी बनी व्यवस्था को बदला जा रहा है। मोदी के कथन से यह साफ हुआ कि सरकार इस मसले पर पीछे नहीं हटेगी। उनकी तरफ से किसानों के समक्ष स्थिति स्पष्ट की गई। मोदी ने अनेक किसानों व किसान संघों से वार्ता का उल्लेख किया। इसमें बताया गया कि कृषि क्षेत्र में सुधारों से किसानों को लाभ मिलेगा। उन्हें बिचौलियों से मुक्ति मिलेगी। मोदी ने कहा कृषि आत्मनिर्भर भारत का आधार हैं। यह क्षेत्र आत्मनिर्भर भारत की नींव को मजबूत बनाएगा। लेकिन इसके पहले कृषि,गांव व किसान को मजबूत बनाया जाएगा। सरकार इसी दिशा में प्रयास कर रही है।

कोरोना संकट के कठिन दौर में कृषि क्षेत्र और देश के किसानों ने अपनी मजबूती दिखाई है। जमीन से जुड़े होने के कारण देश के इस संकट में लोगों को राहत पहुंचाने में सफल रहे है। कृषि क्षेत्र ने अपने को अनेक बंदिशों से स्वतन्त्र किया है। अनेक प्रचलित मान्यताएं अब बदल जायेगी।। एक समय था जब किसानों को मंडी से बाहर अपने फल और सब्जियां बेचने में बहुत कठिनाई आती थी। मोदी ने पिछले कार्यकाल की शुरुआत में फल और सब्जियों को जब एपीएमसी कानून से बाहर कर दिया था। इसका किसानों को लाभ मिल रहा है। अब वह किसान स्वीट कॉर्न और बेबी कार्न की खेती कर रहे हैं। इससे उनकी सालाना कमाई ढाई से तीन लाख रुपए प्रति एकड़ है। किसानों के पास अपने फल व सब्जियों को कहीं पर भी,किसी को भी बेचने की ताकत है। फल सब्जी, धान, गेहूं, सरसों, गन्ना आदि खेतों में उतपन्न होगा,किसान अपनी इच्छा के अनुसार जहां ज्यादा दाम मिलें,वहीं पर बेच सकेगा।

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