सलिल पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार, मिर्जापुर.

लोकशाही को नौकरशाही ने दिखाया ठेंगा ?

मिर्जापुर । 21वीं सदी के तीसरे दशक में 24 घण्टे से ज्यादा ऊर्जा से वंचित करना अभूतपूर्व घटना ही है। न भूतो ( अतीत में कभी नहीं हुआ और न भविष्यति (भविष्य में ऐसा होगा नहीं ) सूत्र को चरितार्थ करने वाली एक आश्चर्यजनक घटना है। वह भी ऐसे दौर में जब कोरोना महामारी से देश ही विश्व थरथरा रहा है।

प्रौद्योगिकी का दौर और मनमानी का शोर

वर्तमान दौर में पल भर में सन्देश हवाओं में घुल-मिलकर आकाश-पाताल तक चक्रमण कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में लखनऊ से सन्देश विभिन्न संचार-माध्यमों के उड़नखटोले पर बैठकर उड़ा कि विद्युतमन्त्री और विद्युतकर्मियों से बातचीत सफल हो गई लेकिन विद्युत के चेयरमैन साहब ने समझौते पर दस्तखत से इनकार कर दिया । हलांकि इसका खंडन कहीं से नहीं हुआ । यदि यह सन्देश सही है तो यह लोकशाही को नौकरशाही का ठेंगा दिखाना ही कहा जाएगा ।

25 करोड़ जनता जानवर की हालत में

बेजुबान जानवरों-सी हालत प्रदेश की जनता की हो गई है। जिस दौर में कहीं आना-जाना भी इलेक्ट्रिक आधारित हो, 90% जीवन विद्युत पर आधारित हो, उस वक्त जनहित के प्रति यदि कोई कठोर है तो उसका हृदय कितना कठोर होगा, यह स्वतः समझा जा सकता है।

जिद छोड़ें

किसी भी स्तर की जिद से जनता की जान पर आफत आती है तो उसका ठीकरा जिद्दी पर ही फूटना स्वाभाविक है।

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