दीपक श्रीवास्तव, कानपुर.

 


चाहे बाजीगर हो डीडीएलजे हो या डर #बॉलीवुड की इन तीनों #शाहरुख अभिनीत मूवीज ने भारतीय समाज को दूषित करने का काम किया था।

#बाजीगर: फिल्म का पात्र किसी बिजनेसमैन द्वारा अपने पिता को बिजनेस में दिए गए धोखे और हत्या का बदला उसकी बेटी से लेता है.. वो उस की #बेटी के साथ प्रेम प्रसंग बढ़ाकर उसे एक हाई राइज बिल्डिंग से धक्का देकर मार देता है और बाजी जीत चाहता है।

#दिलवालेदुल्हनियाले_जायेंगे: बॉलीवुड की आईकॉनिक मूवी जो आज के 40-45 वाले आयु वर्ग के वयस्कों के लिए दिल में तरंगे पैदा कर देने वाली मूवी हुआ करती थीं… पात्र एक अकेली लड़की के पीछे पड़ता है, उसका पीछा करता है उसे छेड़ता है वह इरिटेट होती है उसको चेतावनी भी देती है पर वह उसका पीछा नहीं छोड़ता एक नया विचार लड़कियों के मन में डाला जाता है कि तुम किसी ऐसे आदमी से शादी कैसे कर सकती हो जिसको तुमने कभी देखा नहीं जिसे तुम जानती नहीं…! लड़की पिता से डरती है और अपने घर वापस लौट जाती है उस बात को दकियानूसी कह कर दिखाया गया जो अपनी अकेली लड़की को #यूरोप ट्रिप तक भेज देता है फिर वह लड़का उस लड़की के #मंगेतर से दोस्ती करने का नाटक करता है उसके घर तक घुस जाता है परिवार वालों का दिल जीतता है और अंत में दोस्त को धोखा देकर उसके मंगेतर के साथ #शादी कर लेता है।

#डर: पात्र किसी #विवाहित महिला जो अपने पति के साथ बहुत सुखी है उसको पसंद करने लगता है उसके पीछे पड़ जाता है उसके मन में अपनी #वासना का डर बैठा देता है और उनके खुशहाल जीवन को अपने तथाकथित प्यार के लिए बर्बाद कर देता है।

#युवा स्वभाव से #बागी होता है उसे हर वह विचार जो स्थापित हो उसे तोड़ने में और नया विचार स्थापित करने में अपने #यौवन का एहसास होता है और यही वह अवस्था होती है जहां #ऊर्जा को यदि सही आया मिल जाए तो वह स्वामी विवेकानंद, भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस, रतन टाटा, अब्दुल कलाम, नरेंद्र मोदी, योगी आदित्यनाथ और आज के यूनिकॉर्न कब क्लब के नए नवोन्मेषी सरीखा #उद्यमी बन जाता है…. पर जिस देश में बॉलीवुड लोगों के दिलों पर नहीं #दिमाग पर राज करता हो ऐसी पथभ्रष्ट करने वाली फिल्मों से सड़क पर लड़कियों को छेड़ने वाला शादीशुदा महिलाओं तक के पीछे पड़ जाने वाला और बदले की भावना से प्यार करने वाला नया पात्र गढ़ता है।

कहते हैं #साहित्य समाज का #दर्पण होता है वर्तमान समय में बॉलीवुड ही साहित्य है और अब तो #ओटीटी साहित्य का नया वर्जन बन के आ चुका है।

बॉलीवुड यह कहता है समाज में जो हो रहा है हम वह दिखाते हैं बल्कि उसके उल्टे बॉलीवुड जो दिखाता है समाज में वह होने लगता है।

80 के दशक में आई फिल्म #तेजाब में एक #शराबी बाप अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए अपनी बेटी के सुंदर चेहरे पर तेजाब डालने की धमकी देकर उससे नाच गाना कराता है यह विचार बॉलीवुड ने हीं युवाओं को दिया था और समाज में तेजाब कांड धीरे-धीरे आम हो गया इसके पहले आपने कितने मामले सुने थे जहां एक लड़की को यह कहकर डराया जाता कि तुम्हें अपनी #सुंदरता पर बहुत नाज है मैं तुम्हारा चेहरा ही बिगाड़ दूंगा…!

अब आते हैं इन तीन आईकॉनिक मूवीस पर इसे संयोग कहें या प्रयोग डर डीडीएलजे और बाजीगर इन तीनों मूवीज में नायक या एंटरटेनर की भूमिका #शाहरुखखान ने निभाई थी इस #प्रयोग ने उन्हें रातोंरात देश के युवाओं की धड़कन बना दिया बाकी काम पीआर एजेंसियां बहुत शिद्दत से करती हैं उन्होंने युवाओं का एहसास दिलाया कि शाहरुख खान प्यार का #खुदा है और लड़कियां शाहरुख पर मर मिटने को तैयार होने लगी अपने प्रेमी में शाहरुख की हल्की सी झलक पाने को बेकरार रहने लगी… समाज की मान्यताएं टूटने लगी… हर लड़की शादी करने से पहले यह सोचने लगी कि मैं एक ऐसे लड़के से कैसे शादी कर सकती हूं जिसे मैंने कभी देखा नहीं कि से मैं जानती नहीं पर अगला सवाल उनके दिमाग में नहीं कौंधा कि वह लड़का भी तो ऐसी लड़की से शादी कर रहा है इस उसने कभी देखा नहीं उसने कभी जाना नहीं और आपके माता-पिता भी ऐसी ही शादी को निभा रहे थे…बाकी देखने वालों के लिए #लिवइन_रिलेशन जैसा नया विचार भी लाया गया लिविंग वाली शादियां कुछ दिन भी नहीं चलती वहां तो अच्छी तरह से देख सुन लिया होता है।

जिस शाहरुख खान ने अपने बागी अभिनय से जेनरेशंस तक को दुष्प्रभावित कर दिया आज उसी का बेटा #जेल में बंद है जो बेटा बचपन से यह सुनता रहा था कि वह बॉलीवुड के #किंग_खान का #प्रिंस है आज के खान बेबस अपने बेटे से जेल में मिलने जा रहा है।

ये सरकार का इकबाल है किसने बता दिया कि यह नाचने गाने वाले किंग खान नहीं राजाओं के दरबार में मनोरंजन करने वाले नर्तकों से ज्यादा कुछ नहीं।

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