डॉ दिलीप अग्निहोत्री
लखनऊ। स्तंभ ओशिन ऑफ़ कथक कथक नृत्य को समर्पित का शास्त्रीयता प्रतिबिंब में गुरु वंदन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य कथक नृत्य के शिष्य द्वारा अपने गुरुओं की चरण वंदना करना था । इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथिगण अपर्णा यादव ,डॉ० नीलम विनय थे। अन्य अतिथिगण- डॉ० विनय शाही , डॉ०डी०के० चतुर्वेदी तथा अंसुमाली टंडन भी मौजूद रहे।। अर्चना तिवारी स्तंभ की संस्थापिका एवं निर्देशिका द्वारा विगत चार वर्षों से इस स्तंभ संस्था का संचालन किया जा रहा है।
इस संस्था का मुख्य उद्देश्य आज की युवा पीढ़ी को कथक नृत्य के प्रति जागरूक करना एवं उन्हें नवीन प्रयोगों कर कथक नृत्य शैली को सशक्त रूप देना व लोगों को कथक की शास्त्रीय परंपरा शैली से जोड़ते हुए उनका मार्ग प्रशस्त करना।इस संस्था में कथक नृत्य में प्रथम , मध्यमा ,विशारद ,निपुण व मास्टर्स की डिग्री तक का प्रशिक्षण प्रदान करने के साथ ही विभिन्न कार्यक्रमों की प्रस्तुतियाँ , नृत्य प्रतियोगिताएँ और समारोह का आयोजन किया जाता है। वंदन कार्यक्रम के अंर्तगत विभिन्न नृत्य प्रस्तुति का मंचन किया गया। अर्द्धनारीश्वर – भगवान शंकर के अर्धनारीश्वर अवतार में हम सभी जानते हैं इस अवतार में भगवान शंकर का आधा शरीर स्त्री का तथा आधा शरीर पुरुष का था।नयही अर्धनारीश्वर अवतार महिला व पुरुष दोनों की समानता का संदेश देता है। इस रूप में जहाँ शिवजी का तांडव रूप हमें उग्रता दर्शाता है वहीं पार्वती जी का शान्त रूप कोमलता दर्शाता है। इसी को कथक नृत्य में चौताल में निबद्ध कर ये प्रस्तुति आपके समक्ष मनोरम एवं अद्भुत स्तंभ परिवार के सीनियर शिष्य अंजुल बाजपेयी एवं सिद्धार्थ राय द्वारा की गई।पंचवटी – रामायण महाकाव्य में पंचवटी का महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि यही से सीता हरण हुआ तो वहीं रावण के विनाश का आरंभ हुआ। प्रस्तुत पद इसी परिदृश्य को हिंदी महाकाव्य में संकलित एवं मैथलीशरण गुप्त द्वारा रचित खण्डकाव्य “पंचवटी“ है। ‘पंचवटी’ वह जगह है जहाँ जो महाराष्ट्र के पास गोदावरी नदी के तट पर स्थित है | वहाँ पर पाँच बरगद के पेड़ है इसी वजह से इस जगह का नाम पंचवटी पड़ा है। इसी पंचवटी को कथक नृत्य में समाहित कर भगवान राम ,सीता और लक्ष्मण के दृश्य जीवंत करने के साथ साथ भगवान राम का गुणगान किया गया है |
इस परिदृश्य को तीन ताल 16 मात्राओं वाचन शैली और अपनी भाव भंगिमाओं के माध्यम से द्वारा प्रस्तुति दे रहे हैं , अर्चना तिवारी शिष्य – अपूर्वा तिवारी ,सिम्मी कुमारी, अपरा अग्रवाल ,हर्षा त्रिपाठी , इशिता खेतान , लावण्या ,अविनाश सिंह ,अंजुल बाजपेयी एवं सिद्धार्थ राय द्वारा की गई। श्री कृष्ण नर्तकी – इस श्री कृष्ण नर्तकी संगीत संरचना राजीव महावीर म्यूज़िक कंपोज़र , निर्देशक संदीप महावीर ने द लिविंग लेजेंड पद्म विभूषिन से सम्मानित पंडित बिरजू महराज को समर्पित किया गया है | आठ शास्त्रीय नृत्यों में सबसे प्राचीन नृत्य कत्थक जिसका मध्यकाल से कृष्ण कथा और नृत्य से संबंध रहा है। उसी संबंध को इन छात्रों द्वारा अपनी कथक नृत्य शैली द्वारा प्रस्तुति की जा रही है। नृत्यों में सबसे प्राचीन नृत्य कत्थक जिसका मध्यकाल से कृष्ण कथा और नृत्य से संबंध रहा है उसी संबंध को अपनी कथक नृत्य शैली में प्रस्तुत कर रहे शिष्य – अपूर्वा तिवारी , सिम्मी कुमारी, अपरा अग्रवाल ,हर्षा त्रिपाठी ,यशस्वी अग्रवाल , नेहा सिंह और रिया बेंजुई द्वारा की गई। पराशिष्ट – सरगम सुरों की वह माला है जिसमें किसी जाति या प्रकार का भेद नहीं होता ।उसी जगह पर कथक नृत्य में जितनी भी जातियाँ जैसे – तिस्र जाति , मिश्र जाति , चतस्र जाति , खण्ड जाति के इस सरगम में साथ – साथ पखावज परन का भी सुंदर प्रयोग किया गया है लखनऊ के कथक को सूफी अंदाज़ में पिरोकर दर्शको के समक्ष एक अनूठा प्रयास किया गया है।हमें सूफी रंग में अंगो का संचालन एवं भाव – विन्यास देखने को मिला। एक ओर खुदा की ईबादत का पैगाम देती , वहीं दूसरी ओर भगवान की भक्ति में सरोबार कर, दोनों रंगो में भक्ति भाव की लहर में लीन कर देगी कथक और सूफी का यह संगम दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर दिया। सूफी गीत भर दो झोली मेरी तथा भक्ति गीत सांसों की माला गीत की मिली जुली प्रस्तुति कार्यक्रम को नई उल्लास की प्रेरणा दी। इसकी प्रस्तुति अर्चना तिवारी शिष्य अंजुल बाजपेयी,सिद्धार्थ राय , अविनाश सिंह ,अपूर्वा तिवारी , सिम्मी कुमारी, अपरा अग्रवाल द्वारा की गई | प्रस्तुतिकरण – स्तंभ (ओशिन ऑफ़ कथक) परिकल्पना एवं अवधारणा –अर्चना तिवारी स्तंभ की संस्थापिका एवं निर्देशिका की थी।