Home व्यंग war मैं जन्मा या अजन्मा

मैं जन्मा या अजन्मा

0
211

 

 

डॉ आलोक चान्टिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन

 

मैं जन्मा या अजन्मा ,
यह निर्णय तेरा होगा ,
औरत सोच के देख जरा ,
तुझमे साहस कितना होगा ,
हर कदम उम्र पुरुषों के नीचे ,
तेरा क्षमा सहन कितना होगा ,
तुझ पर कह डाली पोथी सारी,
शून्य में फिर भी रहना होगा ,
कहती दुनिया कल दिन है तेरा .
फिर भी डर कर रहना होगा ,
आलोक ढूंढती आँखे अबभी है ,
अँधेरा खुद तुझे पीना होगा ,
माँ बहन शब्द दम तोड़ चुके ,
हव्वा आदम की होना होगा ,
भूल न जाना, है दर्द अंतहीन,
बेशर्मो संग ही रहना होगा ,
दुनिया में खुद आने के खातिर,
माँ माँ इनको ही कहना होगा ,
शत शत वंदन तेरे हर रूप को ,
ये प्रेम किसी से कहना होगा ……………..

अजीब लगता है जब यह लाइन लिख रहा हूँ क्योकि औरत के लिए हमारी कथनी करनी अलग है और कल हर कोई छाती पीट पीट कर महिला दिवस पर पाने गले को बुलंद करेगा …..पर शत शत अभिनन्दन उस हर महिला को जो चुपचाप पुरुष को जन्म से मृत्यु तक साथ देकर गुमनामी में मर जाती है …………. आलोक चांटिया

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here