डॉ दिलीप अग्निहोत्री
महात्मा गांधी का द्रष्टिकोण मानवतावादी था। उनका उद्देश्य भारत को स्वतंत्र मात्र कराना नहीं था,बल्कि इससे भी आगे बढ़ कर वह सभी का कल्याण भी चाहते थे। गांधी दर्शन इसी के अनुरूप है। इसमें मानव कल्याण के शास्वत जीवन मूल्य समाहित है। इस लिए उनके विचार आज भी प्रासंगिक है। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने इसी रूप में महात्मा गांधी का स्मरण किया। आज कोरोना महामारी के दौर में महात्मा गांधी के विचारों की उपयोगिता की ओर लोगों ध्यान आकृष्ट किया है। उन्होंने कहा कि स्वच्छता,स्वदेशी और स्वावलंबन गांधी जी द्वारा बताये गये ऐसे मंत्र है,वर्तमान परिस्थितियों के समाधान में सहायक हो सकते हैं। गांधी जी के अर्थ दर्शन पर अमल की आवश्यकता है। इसके अनुरूप चुनौती, परिस्थिति और संसाधन को मिलाकर अवसर में विकसित किया जा सकता है। आनंदीबेन पटेल ने राजभवन से सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार के पीआईबी द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की एक सौ पचासवीं जयन्ती समारोह के अवसर पर आयोजित वेबिनार को सम्बोधित किया। राज्यपाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान का गांधी दर्शन के संदर्भ में उल्लेख किया। कहा कि गांधी जी कुटीर और ग्रामीण उद्योग को ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण मानते थे। इसीलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने के लिए वोकल फाॅर लोकल पर जोर दिया है।
भारत में संसाधन की कमी नहीं हैं। इसके बल पर विभिन्न प्रकार के उपयोगी सामान विश्व स्तर के बनाये जा सकते हैं। देश में असंख्य कुशल हाथ हैं,जिनका उपयोग करके प्राकृतिक संपदाओं से बहुत कुछ बनाया जा सकता है। गांधी जी ने अपने विचारों के माध्यम से राजनैतिक,दार्शनिक, सामाजिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में क्रांतिकारी परिवर्तन किए। उन्होंने दबे कुचले दलित वर्ग के लोगों के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई एवं छुआ छूत का विरोध किया। उन्हें समाज की मुख्य धारा में शामिल किया। गांधी जी ने जनसामान्य को साफ सफाई की महत्ता बताने के साथ ही स्वच्छता के लिये प्रेरित भी किया था नरेन्द्र मोदी जी भी इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए गाँधी जी को उनकी एक सौ पचासवीं जयन्ती पर स्वच्छ भारत अभियान को एक जन आन्दोलन का रूप दिया। राज्यपाल ने कहा कि महात्मा गांधी ने ग्राम स्वराज्य की कल्पना की थी। वह चाहते थे कि हर गांव एक आत्मनिर्भर इकाई बने। ग्रामीण विकास के गांधी जी के इसी सपने को मोदी सरकार पूरा कर रही है। गांधी जी शिक्षा को रोजगार के साथ जोड़कर देखते थे। शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो लोगों को रोजगार दे सके। सरकार का कौशल विकास मिशन इसी दिशा में एक मजबूत कदम है।