डॉ दिलीप अग्निहोत्री

नरेंद्र मोदी विरोधियों के हमलों के अभ्यस्त हो चुके है। विगत बीस वर्षों से वह इन्हें झेलते हुए लगातार आगे बढ़ रहे, नकारात्मक राजनीति से बेपरवाह वह अपना दायित्व निर्वाह करते है। यही कारण है कि उनकी नेकनीयत पर आमजन के विश्वास कायम है। ताजा प्रसंग कोरोना वैक्सीन का। भारत के वैज्ञानिकों ने सबसे पहले इसका निर्मांण करके दुनिया को चौका दिया था। दुनिया में भारत की प्रशंसा हो रही थी। ब्राजील के राष्ट्रपति ने तो हनुमान जी द्वारा संजीवनी लाने के प्रसंग से इसकी तुलना की थी। सैकड़ों देश भारत से कोरोना लेने की लाइन में लग गए। लेकिन भारत का विपक्ष इस राष्ट्रीय गौरव से अलग रहा। कोरोना वैक्सिनेशन के संबन्ध में सरकार की नीति दूरदर्शिता पर आधारित थी। इसके चलते किसी प्रकार की भीड़ या अफरातफरी नहीं होती। सवा सौ करोड़ की आबादी में इसका भी ध्यान रखना आवश्यक था। इसके अंतर्गत पहले मेडिकल स्टाफ को प्राथमिकता दी गई। इसी क्रम में अन्य कोरोना वारियर्स को शामिल किया गया। इस व्यवस्था को भी विपक्ष ने मोदी विरोध का बढ़िया अवसर माना। किसी ने पूंछा की मोदी जी कोरोना वैक्सीन कब लगवाएंगे। किसी ने कहा कि यह भाजपा की वैक्सीन है।

कोरोना वैक्सीनेशन का पहला चरण शुरू होते ही कांग्रेस पार्टी के कई नेताओं ने कोवैक्सिन की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए थे। इनका कहना था कि वैक्सीन के प्रति भरोसा पैदा करने के लिए सबसे पहले नरेंद्र मोदी को टीका लगवाना चाहिए। अगर वैक्सीन इतनी ही विश्वसनीय है तो बीजेपी के नेताओं ने सबसे पहले यह क्यों नहीं लगवाई। एक दिग्गज ने ट्वीट करते हुए कहा कि कोवैक्सीन का अभी तक तीसरे चरण का ट्रायल नहीं हुआ है, बिना सोच समझे अनुमति दी गई है जो कि ख़तरनाक हो सकती है। आरएमएल अस्पताल के डॉक्टरों ने भारत बायोटेक की वैक्सीन कोवैक्सिन को लेकर संशय जाहिर किया था। डॉक्टरों ने इसको लेकर एक पत्र मेडिकल सुपरिटेंडेंट को लिखा था। कोवैक्सिन को जब इस्तेमाल की मंजूरी मिली थी तब तक इसके तीनों चरण का ट्रायल पूरा नहीं हुआ था। डॉक्टरों ने कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने की मांग की थी। जबकि सरकार कहना था कि कोवैक्सिन सुरक्षित है और इसके कोई खास साइड इफेक्ट्स नहीं है। ऐसे हमले लगातार चल थे,विपक्ष सोच रहा था कि नरेन्द्र मोदी के पास उनके सवालों का जबाब नहीं है। मोदी भी चुप थे। उनके मन में कुछ और चल रहा था। विपक्षी दिग्गजों को वहां तक अनुमान लगाने का समय भी नहीं है। फिर एक सुबह इलेक्ट्रॉनिक व सोसल मीडिया से पता चला कि नरेन्द्र मोदी ने सुबह साढ़े छह बजे कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगवाई है। उन्होंने जो गाइडलाइन बनाई थी उसका पालन किया। सोमवार को दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में भारत बायोटेक की बनाई ‘कोवैक्सिन’ की पहली खुराक ली थी। राष्ट्रीय हित व गौरव को ध्यान में रखते हुए ट्वीट किया। कहा कि हमारे डॉक्टरों और वैज्ञानिकों ने कोविड के खिलाफ लड़ाई को कम समय में मजबूत बनाने के लिए उल्लेखनीय काम किया है। मैं उन सबसे अपील करता हूं कि जो लोग कोरोना टीका लगाने के लिए योग्य हैं वे वैक्सीन लें। मिलकर भारत को कोविड मुक्त बनाएं।

देश में कोरोना महामारी पर नियंत्रण पाने को कोरोना टीकाकरण का दूसरा चरण एक मार्च से शुरू हुआ है। इस चरण में साठ साल से ज्यादा आयु वाले बुजुर्गों के साथ ही गंभीर बीमारियों से ग्रस्त पैतालीस साल या उससे ऊपर की आयु के लोगों को टीका लगेगा। नरेंद्र मोदी को इसी दिन का इंतजार था। वैसे वह सबसे पहले यह वैक्सीन लगाव लेते,तब भी विपक्ष के हमले से नहीं बचते। तब कहा जाता कि नरेन्द्र मोदी को देश की नहीं केवल अपनी चिंता है। वस्तुतः ऐसे हमले ही मोदी को आगे बढ़ने की प्रेरणा देते है।

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