हमारा शरीर जिन गुणों को प्रदर्शित करता है उसको अनुवांशिकी की भाषा में जीन कहते है | साधारण भाषा में जीन के समूह को जीनोम कहते है जब दुनिया में जीनोम का अध्ययन किया गया तो ये सिद्ध हो गया कि दुनिया की सभी हिस्सों में पाई जाने वाली महिलाओ के एक महत्वपूर्ण अनुवांशिक पदार्थ डी एन ए का ९९ प्रतिशत सामान है जिससे ये सिद्ध हो गया कि पृथ्वी प् रपये जाने वाले सारे मनुष्य एक ही मादा या महिला से पैदा है | यानि पूरी दुनिया की जनसँख्या एक महिला की ही वंशज है पर आज हम उसी महिला को धर्म के अनुसार बाँट कर उसको अपने अनुसार से जीने क एलिए मजबूर करते है हम महिला को अनुवांशिकी समानता से ज्यादा धर्म के आधार पर हिन्दू मुस्लिम और ईसाई के रूप में जानते है और महिला को उन्ही धर्मो के अनुसार ही चलना।
मुझे एक प्रसिद्ध मानवशास्त्री ई एल क्रोबेर की एक बात याद आती है जिन्होंने कहा था कि जिस संस्कृति को मानव ने बनाया उसी संस्कृति से मानव शासित होने लगता है जब की हम धर्म की महिला का अनुवांशिक पदार्थ आज भी एक जैसा है तो मानते है ना कि सभी धर्मो की महिला विज्ञानं के आधा रपर एक जैसी भले ही हो पर धर्म के आगे वो अबला ही है और उनको वही करना है जो धर्म कहेगा ……क्या आज तक हम विज्ञानं को अपना पाए क्या महिला की सर्वोच्चता को स्वीकार कर पाए …………….महिला के वैज्ञानिक सच को मानने की ताकत कितनो के पास है