डॉ आशिष तिवारी,
चिकित्सक, लेखक एवं कवि, मुंबई.

 

20.10.20 को इस फिल्म के पच्चीस वर्ष पूरे हो गये हैं । यशराज फिल्म्स का आभार एवं बधाईयाँ । हालांकि आदित्य चोपड़ा इस फिल्म के डायरेक्टर थे पर मुझे यश चोपड़ा का पूरा प्रभाव नज़र आता है ।
यह फिल्म भारतीय फिल्मों के इतिहास में कई मायनों में एक मील का पत्थर है ।

लंदन से शुरु होकर स्विटजरलैंड की हसीन वादियों से गुजरती हुई यह पंजाब के खुशनुमा माहौल में जाकर ठहरती है । इसकी कथा व कथानक आदित्य चोपड़ा और जावेद सिद्दीकी ने गढ़ा है और उस समय की फिल्मों में यह एक ऐसी ताज़ी हवा का झोंका था जिसने दुनिया को मदहोश कर दिया । यह पहली फिल्म भी थी जिसमें लंबे नामों को शार्ट करके पुकारा जाने लगा था । इसे सब DDLJ कहकर पुकारते हैं ।

आदित्य चोपड़ा, शाहरुख, काजोल,जतिन ललित और मनमोहन सिंह आदि भविष्य में जब कभी भी याद किये जायेंगे तो इसी फिल्म का नाम ही सबसे पहले होगा । आदित्य और जावेद की कहानी बेहद लुभावनी है और कथानक बेहद दिलचस्प है । मनमोहन की फोटोग्राफी सपनों की दुनिया सी लगती है । शाहरुख और काजोल अपनी असली पहचान खोकर राज और सिमरन में ढल गये हैं । जतिन ललित ने जो संगीत दिया है वो सदाबहार है और अमर है । एक अफसोस हमेशा रहेगा कि इन दोनो को इतने महान संगीत के लिए फिल्म फेयर नही दिया गया ।

आज भी यह फिल्म टीवी के किसी भी चैनल पर दिख जाये तो देखने की विवशता सी हो जाती है और हर बार वही फीलिंग्स आती हैं जो पहली बार देखने पर आयी थीं । परी कथाओं सी खूबसूरत इस फिल्म का आकर्षण कभी कम नही हो सकता ।

एक बेहद शानदार फिल्म जिसके तमाम खूबसूरत गानों में मेरा सबसे पसंदीदा गाना लता जी और कुमार सानू का गाया हुआ ये है …

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here