डॉ दिलीप अग्निहोत्री

दिल्ली में आप सरकार कोरोना आपदा प्रबंधन में पूरी तरह विफल साबित हुई है। इसलिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह स्थिति संभालने के लिए निकलना पड़ा। उन्होंने दिल्ली की बेहाल स्वास्थ सेवाओं व जांच पर ध्यान दिया। अनेक सुधार किए। इसके बाद उन्होंने दिल्ली के सीमावर्ती यूपी व हरियाणा सरकार से संवाद किया। अब साझा रणनीति के तहत स्थिति को संभालने का प्रयास किया जाएगा। दिल्ली से जिस प्रकार एक साथ लाखों श्रमिकों का पलायन शुरू हुआ,उसके पीछे तो लापरवाही ही नहीं बल्कि साजिश की भी आशंका व्यक्त की जा रही है। ऐसी भयावह स्थिति में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिम्मेदारी  से काम किया। उन्होंने करीब चालीस लाख श्रमिकों को सुरक्षित गंतव्य तक पहुंचाने का कार्य किया। इसी के साथ दूसरे राज्यों से आने वाले श्रमिकों की जांच की गई। उनको आवश्यकता के अनुरूप चिकित्सा,राशन किट व एक हजार रुपये भी दिए गए।

इसी दौरान उत्तर प्रदेश में श्रमिक कामगार सेवायोजन आयोग गठित हो गया। सवा करोड़ श्रमिकों कामगारों को रोजगार भी मिल गया। योगी ने यह सब ना किया होता तो अरविंद केजरीवाल सरकार की अदूरदर्शिता बहुत दिल्ली के साथ ही उत्तर प्रदेश,हरियाणा, बिहार आदि के लिए भारी समस्या पैदा कर देती। स्पष्ट है कि आप के द्वारा पैदा की गई विकट समस्या का समाधान योगी आदित्यनाथ ने किया। उधर दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह ने मोर्चा संभाला। उन्होंने दिल्ली की सीमा से लगे उत्तर प्रदेश व हरियाणा के मुख्यमंत्रियों से बात की। अब सभी लोग समन्वय के साथ आप सरकार द्वारा बिगाड़ी गई स्थिति का समाधान करेंगे। योगी आदित्यनाथ ने दिल्ली से पलायन करने वाले श्रमिकों की समस्या का बेहतरीन समाधान करके दिखा दिया। दिल्ली की आप सरकार ने समस्या का समाधान नहीं कर सकी। कुछ दिन तो विज्ञापन के बल पर निकल गए। लेकिन जनता की नाराजगी के बाद उनको सच्चाई स्वीकार करनी पड़ी।

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने कहा कि अकेले दिल्ली में लाख से ज्यादा कोरोना केस हो जाएंगे। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि  दिल्ली के अलावा अन्य राज्यों के लोगों का इलाज नहीं किया जाएगा। बिडम्बना देखिए अरविंद केजरीवाल स्वयं दिल्ली के नहीं है। फिर दिल्ली सरकार ने इलाज की बात भी बन्द कर दी। कहा कि  बीमार व्यक्ति घर पर ही कवारन्टीन रहें। केजरीवाल का कथित प्रबंधन देखिए,उन्होंने दिल्ली के स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ बैठक तक नहीं की। यह कार्य भी अमित शाह ने किया। केजरीवाल सरकार कोरोना काल में जरूरतमन्दों के लिए भोजन दवा तक की व्यवस्था करने में विफल रही थी। दिल्ली के अलावा महाराष्ट्र,पश्चिम बंगाल की सरकार भी राजनीति करती रहीं,ये सभी आपदा प्रबंधन में फेल रही। अपनी वोटबैंक राजनीति के कारण इन्होंने केंद्र सरकार की गाइडलाइन के विपरीत आचरण किया। इसी के तहत तबलीगी जमात पर नकेल नहीं कसी गई।

प्रवासी मजदूरों को सहायता नहीं दी गई,इस कारण वह पलायन के लिए विवश हुए। जब केंद्र सरकार ने मजदूरों के हित में ट्रेन चलाने की घोषणा की तो ममता बनर्जी ने ट्रेन लेने से इनकार कर दिया। लॉकडाउन के समय दिल्ली में  साजिश के तहत मजदूरों के बीच भ्रामक सूचना पहुंचाई गई कि बॉर्डर पर बसें खड़ी हैं। आप सरकार की लापरवाही के चलते एक सौ सात देशों से ज्यादा कोरोना केस अकेले दिल्ली में हो गए।

आप संस्थापको में एक कपिल मिश्रा ने कहा कि दिल्ली सरकार आपदा प्रबंधन की जगह विज्ञापन और मीडिया मैनेजमेंट में लगी रही। जबकि अमित शाह ने राजनीति से ऊपर उठकर प्रबंधन पर अमल शुरू किया। उन्होंने दिल्ली के स्वास्थ व प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक की। अस्पतालों का निरीक्षण किया। इसके बाद दिल्ली एनसीआर की  बैठक बुलाई। इसमें दिल्ली,हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री शामिल हुए। इसमे केंद्र व तीनों राज्यों की साझा रणनीति बनाई गई। रैपिड एंटीजन टेस्टिंग का उपयोग कर संक्रमण फैलने की दर कम करने और मरीजों को जल्द से जल्द अस्पताल में भर्ती करने पर जोर दिया।

अमित शाह ने कहा कि अधिक से अधिक टेस्टिंग कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकेगी। नये रैपिड एंटीजन टेस्ट से करीब नब्बे प्रतिशत स्क्रीनिंग हो जाती है। इसकी किट को विपुल मात्रा उपलब्ध कराया जा सकता है। नीति आयोग की ओर से एनसीआर में कोविड से निपटने की रणनीति पर प्रजेंटेशन भी दिया गया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा से मेरठ मण्डल के सभी छह जनपदों के प्रत्येक ग्राम पंचायत एवं वाॅर्ड में कोविड स्क्रीनिंग का अभियान प्रारम्भ किया गया है। यह स्क्रीनिंग पल्स पोलियो अभियान की तर्ज पर करायी जा रही है। इसके अंतर्गत रैपिड एंटीजन टेस्ट कराए जा रहे हैं। इसके लिए मेरठ मण्डल को अस्सी हजार किट्स उपलब्ध करायी गयी हैं। स्क्रीनिंग हेतु गठित टीम को प्रतिदिन पचास घरों की स्क्रीनिंग का लक्ष्य दिया गया है। कोविड संक्रमित रोगियों को कोविड अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा। संदिग्ध मरीजों को टेस्ट के लिए क्वारंटीन सेण्टर लाया जाएगा। प्रदेश के अन्य जिलों में भी यह स्क्रीनिंग अभियान वृहद रूप से संचालित किया जा रहा है। इस अभियान के लिए प्रदेश में एक लाख से अधिक टीम गठित की गई हैं। मेडिकल स्क्रीनिंग टीमों को पल्स आक्सीमीटर, इन्फ्रारेड थर्मामीटर, सैनेटाइजर,ग्लव्स,मास्क आदि आवश्यक उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं।  प्रदेश के कोविड अस्पतालों में डेढ़ लाख बेड की व्यवस्था की गयी है। मेरठ मण्डल में तेईस हजार बेड की व्यवस्था है। पूरे प्रदेश में नाॅन कोविड अस्पतालों, पीएचसी,सीएचसी जिला अस्पताल थाना तहसील,पीएसी वाहनियों,औद्योगिक संस्थाओं सहित अन्य संस्थाओं में कोविड हेल्प डेस्क गठित करायी गयी है। प्रदेश में अन्य राज्यों से लगभग अड़तीस लाख श्रमिक कामगार आए।

वर्तमान में इनमें संक्रमण की स्थिति नगण्य है। इस समय राज्य में लगभग एक लाख श्रमिक क्वारंटीन हैं। निगरानी समितियों द्वारा इनका ध्यान रखा जा रहा है। प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में अट्ठावन हजार तथा नगरीय क्षेत्रों में बारह हजार निगरानी समितियां कार्य कर रही हैं। प्रदेश के प्रत्येक जिला अस्पताल में ट्रूनेट मशीनों की व्यवस्था है। इससे मेडिकल इंफेक्शन पर नियंत्रण में मदद मिली है। ट्रूनेट मशीनों से कोविड की जांच की सुविधा अनुमन्य होने पर नाॅन कोविड मरीजों को बेहतर इलाज की व्यवस्था सुलभ होगी। राज्य की टेस्टिंग क्षमता में  लगतर वृद्धि की जा रही है।

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