अमरदीप सिंह, संवाददाता, गुजरात
गुजरात सरकार का दावा- 1 माह में कोरोना से 3578 लोग मरे, लेकिन 3416 मौतें अहमदाबाद के 1 ही अस्पताल में दर्ज
- गुजरात सरकार पर लग रहा हैं कोरोना मृतकों के आकंड़ों छुपाने का आरोप
- अहमदाबाद के सिविल हास्पीटल और सरकारी आंकड़ों ने सरकार पर लगाया प्रश्न चिन्ह
- सरकारी आंकड़ों में जितनी मृतकों की संख्या पूरे गुजरात राज्य में हैं, हकिकत में तो अहमदाबाद के सिवील हास्पीटल में अकेले उतनी संख्या हैं।
- इस मुद्दे को लेकर विपक्ष गुजरात सरकार पर हमलावर हो गई हैं
एक बार फिर अहमदाबाद के सिविल अस्पताल के चलते विपक्ष गुजरात सरकार पर हमलावर हो गई है। एक बार फिर सरकार पर मौत के आकड़े छुपाने का आरोप लग रहा है। एक बार फिर सरकारी मौत के आकड़ें और सिविल अस्पताल के मौत के आकडों ने सवालिया निशान खड़े कर दिए है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गुजरात सरकार ने एक महीने में जो संख्या पुरे राज्य में मरने वालों की बताई है हकीकत में उतनी संख्या तो अहमदाबाद के सिर्फ सिविल अस्पताल में मरने वालों की है। ऐसे में ये प्रश्न तो उठता ही है कि आखिर क्या है अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में कोरोना से मौत की हकीकत और सरकारी आकडो़ं का सच…… आईये जानने की कोशिश करते हैं….
देश भर में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान कई राज्यों में हजारों लोगों की जान चली गई। लाखों लोग वायरस की चपेट में आए। हालांकि, राज्य सरकारें कोरोना से मरने वालों के सही आंकड़े जारी करने से बचती रहीं। विकास का रोल मॉडल कहे जाने वाले गुजरात की बात की जाए तो यहां आये दिन ऐसी तस्वीरें सामने आई जब अहमदाबाद-सूरत जैसे जिलों में श्मशान-कब्रिस्तानों पर शवों के ढेर लगे रहे। सिर्फ अहमदाबाद के सिविल अस्पताल की बात करे तो इस अस्पताल में रोजाना इतनी मौतें हुईं कि इसका आंकड़ा पूरे गुजरात में होने वाली मौतों से भी ज्यादा था। राज्य सरकार के कोविड बुलेटिन में मरने वालों के आंकड़ों पर विपक्षी दल कांग्रेस सवाल उठाता रहा है। कांग्रेस के बड़े नेताओं ने तो यहां तक दावा किया कि राज्य में कोरोना से 2 लाख लोग मारे जा चुके हैं। वहीं गुजरात सरकार अब तक 10 हजार मौतें भी नहीं मान रही कांग्रेस का तो यहाँ तक आरोप लगाया है की पुरे भारत में 50 लाख और गुजरात में 2 लाख से भी ज्यादा मौत हुई है .
इस विषय पर प्रियंका गांन्धी ने भी ट्वीट कर मौत के आकड़ो पर गलत जानकारी देने का आरोप लगाया था बहरहाल सिविल अस्पताल के रिकॉर्ड के मुताबिक अहमदाबाद सिविल अस्पताल में 10 से 21 अप्रैल तक 1450 मौतें रिकॉर्ड हुईं, जबकि राज्य सरकार के आंकड़ों में पूरे राज्य में 1043 मौतें ही हुईं , इसी प्रकार 10 अप्रैल से 9 मई तक यानी कि 30 दिनों की अवधि के दौरान सिविल अस्पताल में कोरोना से 3416 मौतें दर्ज की गईं, वहीं सरकार ने पूरे राज्य में ही संख्या 3578 बताई। जिसमें अहमदाबाद में सरकार ने महज 698 मौतें दिखाईं। जबकि अहमदाबाद में सिविल अस्पताल के अलावा भी बहुत सारे कोविड अस्पताल में कोरोना के मरीजों का इलाज चल रहा था। सिविल अस्पताल प्रशासन इस सवाल पर कन्नी काट रहा है लेकिन इतना जरूर काबुल कर रहे है की अन्य अस्पतालों के बजाय सिविल में मरने वालो की संख्या ज्यादा थी लेकिन उसके पीछे भी उनका तर्क है की यहाँ मरीज बहुत ही गंभीर अवस्था में लाये जाते थे।
राज्य के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों की पोल कोविड प्रोटोकॉल से होने वाले अंतिम संस्कारों की संख्या ने भी खोली। मसलन, सूरत और अहमदाबाद जिलों में श्मशान घाटों व कब्रिस्तानों में अप्रैल महीने के दौरान आए रोज सैकड़ों शवों की अंत्येष्टि हो रही थी, लेकिन सरकारी कोविड बुलेटिन पूरे राज्य में ही 100 के आसपास मौतें बता रहा था, शमशानों की चिमनिया तक पिघलने लगी थी , अंतिम संस्कार के लिए कई घंटो का वेटिंग चल रहा था मैदानों में अग्नि संस्कार किये जा रही थे , सरकार की ओर से बताया गया है किअब तक यानी की मंगलवार शाम तक कुल 9,955 लोगों की मौत हो चुकी है। यह स्पष्ठ है कि, राज्य सरकार का 9,955 मौतें ही बताने का आंकड़ा कांग्रेस के दावे से एकदम उलट है।