पितृ देवताओं को तर्पण (श्रद्धा का जल) देना चाहिए
सलिल पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार, मिर्जापुर. total-samachar-सेल्युलाइड-के-पर्दे-पर
मिर्जापुर । पितृपक्ष 2 से 17 सितंबर तक प्रतिदिन पियरों (ऊपर की पीढ़ी जो अब जीवित नहीं हैं) के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए निम्नांकित तरीके से तर्पण-विधि का पालन किया जा सकता है ।
1-पानी दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके ही दें ।
2-हाथ में जल के साथ तिल मिला लें और एक कुश का टुकड़ा रख लें ।
3-दोनों हथेलियों का मिलाकर दाहिनी ओर के अंगूठे की ओर से पानी गिराएं ।
4-उपवीत (जनेऊ) पहनते हों तो दाहिने कंधे पर उस वक्त कर लें।
5-देवी-देवताओं की पूजा में कोई रोक नहीं है।
विशेष-भाव का सूचक है जल देना
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जल (पानी) देने का आशय मन मे तरलता और आंखों में जल रहने का प्रतीक है।
निहितार्थ-जो अब दुनियां नहीं हैं, वे इस तरलता से जब प्रसन्न होते हैं तो घर-परिवार और समाज के प्रति तरल भाव यानी कठोरता का त्याग करने से सम्मान बढ़ता है।