डॉ दिलीप अग्निहोत्री
भारतवर्ष की प्रथम योग एवं वैकल्पिक चिकित्सा संकाय लखनऊ विश्वविद्यालय के तत्वावधान में वर्चुअल मोड पर ‘अष्टांग योग’ शीर्षक पर विशिष्ट व्याख्यान आयोजित किया गया। मुख्य वक्ता प्रो. चन्द्रसिंह झाला, कुलपति,लकुलीश योग विश्विद्यालय, अहमदाबाद गुजरात थे। प्रो. झाला ने अपने विषय पर बोलते हुए बताया कि सम्पूर्ण विश्व मे अष्टांग योग ही एक ऐसा माध्यम है जिससे स्वस्थ्य एवं दीर्घ जीवन प्राप्त किया जा सकता है योग के योगासन शरीर को स्वस्थ रखते हैं और धारणा तथा ध्यान मन को स्वस्थ रखते हैं योग शिक्षा के माध्यम से चरित्र,व्यक्तित्व,चिंतन, को पूर्णतया विकसित कर सकते हैं ज़िन्दगी जीने की कला सीख सकते हैं इसलिए योग को जीवन निर्माण की विद्या कहा जाता है।
आधुनिक जीवन शैली के कारण प्रत्येक व्यक्ति तनाव ग्रस्त है तनाव के कारण व्यक्ति का जीवन अस्तव्यस्त हो रहा है।
मनुष्य ने संमुद्र की गहराई और चांद सूरज की ऊँचाई नाप लिया है किंतु अपने जीवन को नापने और समझने में असफल रहा है जिसका परिणाम है कि सब कुछ होते हुए भी व्यक्ति स्वस्थ एवं सम्पूर्ण जीवन का प्रबंधन नही कर पा रहा है।व्याख्यान के दौरान फ़ैकल्टी के कोऑर्डिनेटर डॉ अमरजीत यादव ने कहा कि यह मनुष्य जीवन विलक्षण हैं और इसकी विलक्षणता के उद्घाटन के लिए योग एक ससक्त माध्यम है जीवन मे सम्पूर्णता के लिए शरीर, मन , एवं आत्मा में समांजयस्य होना अनिवार्य है योग के अभ्यास से ही मनुष्य जीवन मे स्वास्थ्य समता, समझ, संस्कार उत्पन्न हो पाएँगे जो की मानव निर्माण के लिए उपयोगी आधार बिंदु है।व्याख्यान के दौरान योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा के शिक्षक,चिकित्सक एवं छात्र छात्राएं शामिल थे।