ज्योतिष शिरोमणि श्री नीलकमल त्रिपाठी
मानव शरीर का बीमारियों से बहुत गहरा संबंध है। वास्तव में, रोग हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ज्योतिष का ज्ञान होने पर आप किसी भी व्यक्ति या बच्चे की जन्म कुंडली को देखकर बता सकते हैं कि वे कब और अपने जीवनकाल में किन किन बीमारियों से पीड़ित होगा। पिछले जन्मों में किए गए पाप भी एक कारण बनते हैं।
रोगों की शांति के लिए मुख्य रूप से पाँच प्रकार हैं, जिनका उपयोग शांति के लिए किया जा सकता है। :-
- रत्न
- मंत्र
- औषधि
- परोपकार
- दान ।
इन सभी विषयों को संबंधित कुशल व्यक्ति के निर्देशन में किया जाना चाहिए, तभी सफलता मिलती है ।
ज्योतिष में 27 नक्षत्रों का वर्णन किया गया है जो इस प्रकार है –
- अश्विनी
- भरणी
- कृतिका
- रोहिणी
- मृगशिरा
- आद्रा
- पुनर्वसु
- पुष्य
- अश्लेषा
- मघा
- पूर्वा
- उत्तरा
- हस्ता
- चित्रा
- स्वाति
- विशाखा
- अनुराधा
- ज्येष्ठा
- मूला
- पूर्वाषाढ़ा
- उत्तराषाण
- श्रवण
- धनिष्ठा
- शतभिषा
- पूर्वा भाद्रपद
- उत्तराभाद्रपद
- रेवती
अश्वनी नक्षत्र से संबंधित रोग:-
- शिर संबंधित
- नेत्र संबंधित
- त्वचा संबंधित
- बुखार
- पैरालिसिस
- अनिद्रा
- मलेरिया इत्यादि ।
अश्विनी नक्षत्र से संबंधित पेड़ :-
- तेंदू
- कुचला
- आंवला
- अपामार्ग जिसे लटजीरा, चिचिरा, ओंगा, अज्जा झारा आदि भी कहते हैं ।
इनकी पूजा करना और उनसे बनी दवाइयाँ लेना फायदेमंद होता है, लेकिन यह एक कुशल चिकित्सक के मार्गदर्शन में किया जाना चाहिए।
अश्विनी नक्षत्र के देवता :-
अश्विनी कुमार ( देवताओ के चिकित्सक ) इनकी पूजा करने से मनुष्य को दीर्घायु प्राप्त होती है, और रोग से पीड़ित व्यक्ति को रोग से मुक्ति मिलती है। इनकी पूजा से असाध्य रोग भी ठीक हो जाता है।
अश्विनी नक्षत्र में श्राद्ध के लाभ :-
व्यक्ति को वाहन सुख मिलता है ।
अश्विनी नक्षत्र का वैदिक मंत्र :-