सलिल पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार, मिर्जापुर.
- 8 करोड़ की एक और खरीद पर उठ रही उंगली
- मुख्यमंत्री से जांच की मांग, उनपर लोगों को है भरोसा
अयोध्या-भूमि विवाद पर आप नेता संजय सिंह के आरोप पर संचार माध्यमों में सफाई दी गई कि ट्रस्ट महासचिव चंपत राय की भूमिका संदेहास्पद नहीं है। इसी क्रम में यह भी कहा गया कि चंपत राय अविवाहित है, वे कोई गलती भला क्यों करेंगे?
संजय सिंह का प्रतिप्रश्न विचारणीय
संजय सिंह- ‘क्या विवाहित लोगों की पत्नियां उन्हें भ्र्ष्टाचार के लिए प्रेरित करती हैं? क्या यह महिलाओं के सम्मान के खिलाफ टिप्पणी नहीं है ? क्या ईमानदार रहने के लिए अविवाहित रहना जरूरी है? प्रश्न उचित लग रहे हैं। इस गहन विमर्श होना चाहिए।
100 साल से आरोप लग रहे हैं
संजय सिंह का इस प्रश्न पर भी जवाब मांगना उचित ही है जिसमें अयोध्या में मीडिया द्वारा घिर जाने पर चंपत राय ने कहा कि उन पर 100 साल से आरोप लग रहे है।
संजय सिंह के प्रश्न पर स्पष्टीकरण आना चाहिए जिसमें उन्होंने सवाल किया है कि ‘क्या श्री राय पर जन्म से पहले ही आरोप लगने लगे ?
हालांकि जो वीडियो वायरल है उसमें श्री राय 100 साल से आरोप वाली बात के साथ महात्मा गांधी की हत्या का आरोप जोड़ा है। वे किसी संगठन पर 100 साल से आरोप की बात तो नहीं कहना चाह रहे थे ? फिलहाल गांधीजी की हत्याके 100 साल नहीं हुए है।
8 करोड़ का नया मामला
साढ़े 18 करोड़ की खरीद के मामले के बाद गुरुवार, 17 जून को कतिपय संचार माध्यमों ने 8 करोड़ की एक और जमीन का दस्तावेज 18 मार्च ’21 की तिथि का ही पेश किया है। दोनों जमीन का क्षेत्रफल लगभग बराबर है। इसे सीधे कुसुम पाठक और हरीश पाठक से खरीदा गया है। इसका भुगतान इन्हीं लोगों को ही दिया गया है । जबकि साढ़े 18 करोड़ की जमीन का ही यह टुकड़ा है, जिसे कुसुम पाठक और हरीश पाठक ने पहले रवि मोहन तिवारी तथा सुल्तान को बेचा था, बाद में इन दोनों ने ट्रस्ट को।
मुख्यमंत्री से जांच की अपेक्षा कर रहे हैं लोग
धार्मिक आस्था के इस बिंदु पर धार्मिक परम्पराओं के तहत रहने वाले मुख्यमंत्री से जांच की मांग लोग करते देखे जा रहे है। प्रदेश के लोग मुख्यमंत्री को साफ-सुथरे स्वभाव का मुख्यमंत्री मानते हैं। मुख्यमंत्रित्व-काल में उन पर आर्थिक आरोप बिल्कुल नहीं लगे। जातिवाद का आरोप भी दम इसलिए नहीं पकड़ पाता है क्योंकि उन पर संन्यास का भाव ज्यादा दिखता है। संन्यासी प्रायः जाति-विरादरी, घर-द्वार छोड़कर ही इस रास्ते पर चलते हैं।
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