डॉ दिलीप अग्निहोत्री

भारत के पर्व आस्था मात्र नहीं है। बल्कि प्रकृति और सामाजिक बोध के जुड़े हुए है। इनमें समरसता व उत्साह का सन्देश समाहित होता है। इनके विविध रूप भी अद्भुत होते है। एक ही भावभूमि पर होने के बाद भी इनके रंग रूप स्वरूप भिन्न हो सकते है। इस प्रकार अनेकता में एकता का उद्घोष भी साथ साथ चलता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हम अपने पर्वों एवं त्योहारों को विषिष्ट तौर से आयोजित कर दुनिया के समक्ष यूनीक इवेण्ट के रूप में प्रस्तुत कर सकते हैं। आज यहां पर सरयू जी की आरती एवं डिजिटल दीपावली का कार्यक्रम इसी श्रृंखला के हिस्से हैं। प्रकृति के साथ अपना समन्वय स्थापित करने के साथ ही अपनी परम्परा और आध्यात्मिक विरासत को भी अक्षुण्ण बनाए रखना है। जिन आयोजनों सेे पर्यावरण की क्षति होने की आषंका होती है,ऐसे कार्यक्रमों को हम डिजिटल रूप में मना सकते हैं।

राज्य सरकार द्वारा तकनीकी का प्रयोग कर त्योहारों और पर्वों को और भव्यता एवं दिव्यता के साथ आयोजित किया जा रहा है। आज अयोध्या में आयोजित की गई दिव्य डिजिटल दीपावली इसका प्रमाण है। हम अपने कार्यक्रमों को आपसी सद्भाव एवं समन्वय के साथ आयोजित करते है। इस अवसर पर प्रोजेक्षन मैपिंग द्वारा रामकथा का प्रस्तुतीकरण किया गया, जिसमें भगवान श्रीराम के जन्म से लेकर उनके वनगमन, रावण वध तथा अयोध्या आगमन का प्रदर्षन किया गया। इसके अलावा, लेजर शो के मनमोहक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गए एवं डिजिटल दीपावली एवं आतिषबाजी की गई।

इसके उपरान्त, मुख्यमंत्री जी ने भव्य श्रीरामलीला मंचन का अवलोकन किया

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