सत्यम सिंह ठाकुर, ब्यूरोचीफ, गुजरात

 

अहमदाबाद. केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई (CBI) की टीम ने गुजरात के स्थित बैंक ऑफ इंडिया (Bank of India) से जुड़े एक बैंक लोन भ्रष्ट्राचार (Corruptions) मामले में एफआईआर (FIR) दर्ज करके आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है. सीबीआई मुख्यालय में कार्यरत अधिकारी के मुताबिक ये मामला गुजरात के मेहसाणा में स्थित मेसर्स विमल ऑइल एंड फूड लिमिटेड नाम की कंपनी से जुड़ा मामला है.

इस कंपनी और कंपनी के कई निदेशकों (Director) के खिलाफ बैंक लोन फर्जीवाड़ा (Bank Loan) मामला दर्ज किया गया है. दरअसल सीबीआई ने 8 बैंकों को करीब 678.93 करोड़ रुपये की कथित तौर पर हानि पहुंचाने के आरोप में निजी कंपनी मेसर्स विमल ऑइल एंड फूड लिमिटेड एवं इसके चार निदेशकों के विरुद्ध मामला दर्ज़ किया. उसके बाद मामले पर कार्रवाई करते हुए सीबीआई की टीम ने आरोपियों से संबंधित गुजरात के 6 स्थानों पर छापेमारी (Search Operation) करके सबूतों और दस्तावेजों को जब्त किया.सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर में प्रमुख तौर पर इन आरोपियों का नाम शामिल है

  1. मेसर्स विमल ऑइल एंड फूड लिमिटेड ,मेहसाणा ,गुजरात
  2. जयेश भाई चंदूभाई पटेल
  3. मुकेश कुमार नरेन भाई पटेल
  4. दितिन नारायणभाई पटेल
  5. मोना जिग्नेश भाई आचार्या
  6. अज्ञात आरोपी

सीबीआई ने बैंक ऑफ इंडिया से प्राप्त शिकायत के आधार पर मेहसाणा (गुजरात) स्थित कंपनी एवं इसके चार निदेशकों और अज्ञात लोक सेवकों/अन्यों के विरुद्ध मामला दर्ज़ किया. यह आरोप है कि बैंक ऑफ इंडिया (अग्रणी बैंक) तथा 08 अन्य सदस्य बैंकों के समूह द्वारा 810 करोड़ रु, (लगभग) धनराशि की विभिन्न साख सुविधाएं आरोपी को मंजूर की गई. आगे यह आरोप है कि आरोपियों ने 2014 से 2017 की अवधि के दौरान अवैध गतिविधियों के माध्यम से उक्त बैंक समूह के साथ धोखाधड़ी की.

जिस वजह से ऋणदाता बैंकों को करीब 678.93 करोड़ रुपये की कथित तौर पर हानि हुई. लिहाजा इस मामले में अब जांच एजेंसी तमाम इनपुट को खंगालने में जुटी हुई है और तमाम आरोपियों के आवास सहित अन्य लोकेशन से प्राप्त सबूतों और दस्तावेजों को खंगालने में जुटी हुई है. सीबीआई के सूत्रों के मुताबिक छापेमारी के दौरान कई मोबाइल फोन और कम्प्यूटर/लैपटॉप को फोरेंसिक लैब भेजकर उसका जांच करवा कर तमाम डेटा को जांच किया जाएगा.

सीबीआई द्वारा प्राप्त जानकारी के मुताबिक कई बैंकों से प्राप्त लोन की रकम को अन्य कई दूसरे बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया गया. इसके साथ ही जिस वजह से लोन लिया गया था उस वजह को पूरा नहीं करके उन पैसों को किसी अन्य प्रोजेक्ट्स में निवेश कर दिया गया. सीबीआई के रडार पर इस तरह के पक्षों के साथ बिक्री लेनदेन करना जो कि खाद्य तेलों के व्यापार या विनिर्माण की गतिविधियों में शामिल नही थे ,बढ़े हुए इनवॉइस मूल्य पर सामग्री खरीदना और राजस्व प्राप्ति को बैंक समूह के बाहर के बैंक में भेजना आदि शामिल है.

सीबीआई की टीम द्वारा जल्द ही इस मामले में अब कई आरोपियों को पूछताछ के लिए नोटिस भेजने वाली है ,पूछताछ के बाद इस फर्जीवाड़ा मामले में कई आरोपियों की गिरफ्तारी भी संभव है.

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