डॉ दिलीप अग्निहोत्री
किसी शिक्षण संस्थान के संदर्भ में पुस्तकों का विशेष महत्व होता है। लखनऊ विश्वविद्यालय ने अपनर शताब्दी वर्ष समारोह में इस तथ्य पर ध्यान केंद्रित किया था। इसके लिए पहले से तैयारी चल रही थी। जिसके चलते शताब्दी समारोह में अनेक उल्लेखनीय पुस्तकों का विमोचन संभव हुआ। समारोह की यह बड़ी उपलब्धि रही।
दीक्षांत में पुस्तक विमोचन
दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति आनन्दी बेन पटेल,उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा व कुलपति प्रो आलोक कुमार राय ने पुस्तकों का विमोचन किया। वस्तुतः किसी भी शिक्षण संस्थान के लिए अपना शताब्दी वर्ष से असंख्य लोगों का इससे प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष जुड़ाव होता है। जो यहां विद्यार्थी, शिक्षक या कर्मचारी रहे उनका अनुभव गहन व प्रत्यक्ष होता है। लेकिन इससे अधिक संख्या उन लोगों की होती है,जो यहां से संबंधित नहीं रहे। लेकिन किसी ना किसी रूप में उनकी स्मृति में भी यह संस्था रहती है। जैसा अनुपम खेर ने कहा कि वह लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र नहीं रहे। लेकिन निराला नगर स्थित अपने5 आवास से आते जाते वह इस भवन को देखते थे। यहां की गतिविधियों में उनकी भी रुचि रहती थी। दशकों बाद भी उनकी यादों में लखनऊ विश्वविद्यालय अंकित है। शताब्दी समारोह के दृष्टिगत अनेक लोगों ने पुस्तकें भी लिखी। राज्यपाल व कुलाधिपति आनन्दी बेन पटेल ने इनका विमोचन किया। विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र युवा पत्रकार सचिन त्रिपाठी ने “लखनऊ विश्वविद्यालय: शून्य से १०० तक “लिखी। इसका भी आनन्दी बेन पटेल ने विमोचन किया।
इसके अलावा समारोह में आचार्य बृजेश कुमार शुक्ल द्व्रारा रचित तीन पुस्तकें “लकुलिशपरवर्तितं पाशुपतातंत्रम”, “श्रीबलभद्रमिश्रप्रणीतं हायणरत्नम” और “संस्कृत- वांगमयी”, प्रोफेसर अमिता कनौजिए द्वारा लिखी “बटरफ्लाईज़ ऑफ़ लखनऊ यूनिवर्सिटी”, “बर्ड्स ऑफ़ यूनिवर्सिटी ऑफ़ लखनऊ” तथा “लखनऊ विश्वविद्यालय की वनस्पति विविधता”, प्रोफेसर अमृतेश चंद्र शुक्ल द्वारा लिखी “एडवांस इन फर्मसुतुकल बायोटेक्नोलॉजी”, डॉक्टर पयाग नारायण मिश्र द्वारा रचित “जयंत भट्ट कृत आगमदंबर के धार्मिक तथा दार्शनिक आयाम” ,डॉक्टर हरी नारायण प्रसाद द्वारा लिखित “पर्सपेक्टिव एक दिनकेनस’स प्ले”, डॉक्टर अजय प्रकाश द्वारा लिखित “इंस्टीटूशनल फ्रेमवर्क ऑफ़ बिज़नेस”, प्रोफेसर अब्बास राजा नय्यर द्वारा रचित “जागते सपने”, डॉक्टर फ़ाज़िल अहसान हाशमी द्वारा लिखित केतु विश्वनाथ रेड्डी की कहानियों का उर्दू अनुवाद के पुस्तकों का विमोचन कुलाधिपति द्वारा किया गया।
आपदा में अवसर
शताब्दी वर्ष पर कोरोना संकट था। फिर भी विश्वविद्यालय ने इसे आपदा में अवसर मंसूबे के साथ आयोजित किया। कोरोना आपदा के बाबजूद विभिन्न क्षेत्रों में अनेक बेहतरीन कार्य भी हुए है। आत्मनिर्भर भारत अभियान शुरू हुआ। जरूरतमन्दों की सेवा व उनको राहत पहुंचाने का जज्बा दिखाया गया। कोरोना योद्धाओं ने अपना समर्पण प्रमाणित किया। ऑनलाइन शिक्षा के प्रयोग आगे बढ़े।
दीक्षा: शताब्दी संकलन
शिक्षा,साहित्य,स्वस्थ्य,पत्रकारिता,संस्कृति आदि अनेक तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए किताब का प्रकाशन किया गया। दीक्षा: शताब्दी संकलन पुस्तक का सम्पादन प्रो ध्रुव सेन सिंह ने किया। सह सम्पादक के रूप में डॉ बिजेंद्र पांडेय और प्रो हिमांशु सेन ने योगदान दिया। पूर्व छात्र व वर्तमान में प्रदेश शासन के मंत्री सुरेश खन्ना डॉ महेंद्र सिंह कुलपति प्रो आलोक कुमार राय ने दीक्षा: शताब्दी संकलन का विमोचन किया। इस पुस्तक के प्रारंभ में राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल,मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ,रक्षामंत्री राजनाथ सिंह सहित अनेक गण्यमान लोगों के शुभकामना संदेश है।
प्रो ध्रुवसेन सिंह द्वारा लिखित पुस्तक “दीक्षा: शताब्दी संकलन कोरोना विज्ञान और समाज”के अलावा मोहिता तिवारी द्वारा रचित पुस्तक “हंड्रेड इयर्स ऑफ़ लखनऊ यूनिवर्सिटी- आ लिगेसी उनसेड, अनटोल्ड ” का विमोचन किया गया। मोहिता तिवारी द्वारा रचित पुस्तक “हंड्रेड इयर्स ऑफ़ लखनऊ यूनिवर्सिटी- आ लिगेसी उनसेड, अनटोल्ड ” में लखनऊ विश्वविद्यालय के पिछले सौ वर्षों से सम्बंधित इतिहास के बारे में विस्तार से संकलन किया गया है। इस पुस्तक में कुछ दुर्लभ चित्रों का संकलन भी है जो आमतौर पर देखने को नहीं मिलता।