डॉ दिलीप अग्निहोत्री

शास्त्रीय संगीत में लखनऊ घराना प्रसिद्ध है। बिरजू महाराज ने तो कत्थक को अंतरराष्ट्रीय लोकप्रियता प्रदान दी। कत्थक की उनकी पैतृक ड्योढ़ी संगीतकारों के लिए प्रेरणा स्थल थी। लखनऊ विश्वविद्यालय अपने शताब्दी समारोह के माध्यम से इस महान धरोहर का भी सम्मान कर रहा है। शताब्दी समारोह के तृतीय दिवस की संध्या में सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत कला संकाय के प्रांगण में सुप्रसिद्ध कत्थक नृत्यांगना प्रो कुमकुम धर ने कत्थक से समा बांध दिया। वह सम्प्रति भातखण्डे संगीत विश्वविद्यालय में संकाय अधिष्ठाता हैं। उन्होंने कत्थक नृत्य अपने समूह के साथ प्रस्तुत किया। कार्यक्रम की शुरुआत कुलपति प्रो आलोक कुमार राय,उत्तर प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री श्रीमती स्वाति सिंह एवं प्रो निशि पांडेय ने द्वीप प्रज्वलन कर की। प्रो धर भातखण्डे संगीत विश्वविद्यालय की पूर्व में कुलपति भी रह चुकी हैं। उन्होंने लखनऊ घराने के कत्थक नृत्य के कई आयाम दर्शकों के सम्मुख प्रस्तुत किये। त्रिवत,रासलीला चतुरंग को खूब सराहना मिली। कार्यक्रम का सञ्चालन प्रो राकेश चंद्रा ने किया। इस कार्यक्रम के अंत में कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने समस्त कलाकारों को सम्मनित किया।

इस कार्यक्रम के पश्चात विश्वविद्यालय की प्रथम महिला, कुलपति आलोक कुमार राय की धर्मपत्नी का सम्मान विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा निर्मित चित्र देकर किया तथा माननीय कुलपति जी के परिवार को लखनऊ के प्रसिद्द चिकनकारी के वस्तु देकर सम्मानित किया।

इसके पश्चात विश्वविद्यालय के छात्रों ने एक कार्यक्रम “सेलिब्रेशन ऑफ़ प्रेजेंट” प्रस्तुत किया। इसमें छात्रों ने सर्वप्रथम “गणेश वंदना” प्रस्तुत किया। इसके पश्चात कुछ छात्राओं ने शिव-आदिशक्ति का मनमोहक प्रदर्शन किया। श्रुति तिवारी ने “लो फिर वसंत आया ” का गायन प्रस्तुत किया। छात्रों द्वारा इन कार्यक्रमों का संचालन भी छात्रों ने ही किया।

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