सलिल पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार, मिर्जापुर.

मिर्जापुर । कोई भी वारदात होती है तो आकलनों और आशंकाओं की बाढ़ आ जाती है, सो चुनार की एक इस्पात कम्पनी के इंजीनियर की रात-अंधेरे हुई हत्या में भी यही सब हो रहा है। जिसका दिमाग जिधर जा रहा है, उधर हत्या का कारण गढ़ दे रहा है।

अब तक के अनुमानित कारण?

1-रंगदारी, 2- पैसे का लेनदेन, 3- कम्पनी में हाई-जंप के जरिए बड़ी हैसियत बनाना, 4-कम्पनी के कारोबार की जानकारी किसी अन्य कम्पनी को देना, 5-निजी जीवन में पति-पत्नी में मुकदमेबाजी, 6- किसी खलनायिका से नजदीकियां ।

रंगदारी और लेनदेनमें विवाद की आशंका का प्रतिशत कम ही लगता है ।

उक्त प्रकरण होता तो इसकी जानकारी कम्पनी के अन्य लोगों को वे देते। रंगदारी के मामले में तो वे अपने मालिक को बताते ही, जो प्रभावशाली व्यक्तित्व वाले हैं। रंगदारी मामला इसलिए भी कमजोर लगता है क्योंकि प्रदेश सरकार इन दिनों चुन-चुनकर रंगदारों को दौड़ा-दौड़ा कर सबक सिखा रही है। दूर नहीं तो वाराणसी, प्रयागराज, भदोही में अच्छे रंगदार जान बचानेकी कोशिश में लगे हैं।

हाईजंप और किसी अन्य कम्पनी से निकटता

प्राइवेटनौकरी और व्यापार में कभी-कभी ऐसा होता है। सरकारी नौकरी में प्रमोशन नियम से होता है जबकि प्राइवेट कंपनियों में कल तक बहुत नीचे रहने वाला कर्मचारी अचानक ऊंचे ओहदे पर और ऊंचे ओहदे वाला निचले पायदान पर चला जाता है। इसके अलावा प्राइवेट कंपनियों में जब कारोबार की कमजोरियां और दूसरी कम्पनियों की जानकारियां लीक होती हैं, तब भी हादसे पूर्व में तमाम कम्पनियों में हो चुके हैं। इन परिस्थितियों को भी जांच का बिंदु बनाने की सलाह कानूनी जानकारों द्वारा दी जा रही है।

निजी जीवन में खटास और किसी खलनायिका की मिठास ?

इस तरह के मुद्दे जान लेने के लिए तो प्रायः जिम्मेदार होते रहे हैं। पति-पत्नी के बीच खटास का मामला 6 सालों से चल रहा है। मुकदमेबाजी की प्रक्रिया से विवाद गुजर रहा है। निर्णय आने की बातें बताई जा रही हैं। उड़ीसा से पत्नी की ओर से इतने दिनों बाद यह कांड करा देना, कुछ कम गले उतर रहा है। जबकि यदि कोई खलनायिका नजदीक रही होगी तो वह तो ठहरी खलनायिका ही। बहुतों से जुड़ी होगी। पूरी फिल्म में कई पात्र (ऐक्टर) होंगे। किस किस तरह के पात्र ऐसे मामलों में होते हैं और कितना खतरनाक अंजाम दे सकते हैं, यह जितना पुलिस जानती है, उतना पब्लिक भी जानती है।

सब पर हो नज़र विशेषज्ञ ऑफिसरों की

इन सभी बिंदुओं पर विशेषज्ञ पुलिस ऑफिसरों की नजर होनी चाहिए । कौन किस तरह के केस वर्कआउट करने में दक्ष है, उसे उसी दिशा में लगाना चाहिए ।

बिजली क्यों गायब थी ?

घटना के पर्दाफाश में ADG एवं IG जैसे बड़े पुलिस आफिसर चुनार में लगभग डेरा डालो मोड में हैं । इसलिए वे यह भी पता कराएं कि गोली तड़तड़ाने के वक्त बिजली क्यों गुल थी? कोई खराबी थी या निचले लेविल पर किसी लाइनमैन को मिलाजुला कर लाइन कटवा तो नहीं दी गई? उस इलाके की काटी गई बिजली रिकार्ड में है या नहीं ?

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