सलिल पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार, मिर्जापुर.

 

  • इस कदम से भ्रष्टाचार को मिलेगा बढ़ावा-UPEA
  • लखनऊ में 12 अक्टूबर को विरोध में होगी UPEA की बैठकमिर्जापुर । प्रदेश सरकार द्वारा इंजीनियरिंग विभागों में अनिवार्य सेवानिवृत्ति के क्रम में UP PWD में आठ अधिशासी अभियंताओं पर की गई कार्रवाई विवादों में दिखायी पड़ने लगी है। विवाद का एक कारण जहां आठ में सात का अनुसूचित जाति समुदाय का होना है, वहीं कई अभियन्ताओं की अच्छी छवि के बावजूद सेवानिवृत्ति भी बताई जा रही है। इस बीच UPEA (उत्तरप्रदेश इंजीनियरिंग एसोसिएशन) की प्रांतीय शाखा सोमवार 12/10 को लखनऊ में बैठक आयोजित कर रही है, जिसमें सरकार से इस पर पुनर्विचार की मांग होगी।

मिर्जापुर के EE पर कार्रवाई पर आश्चर्य

यहां के ही नहीं बल्कि प्रदेश के अन्य जनपदों के PWD में कार्यरत लोग मिर्जापुर के प्रांतीय खण्ड में कार्यरत अधिशासी अभियंता श्री देवपाल को सेवानिवृत्त किए जाने से आश्चर्यचकित हैं क्योंकि श्री देवपाल तथा अन्य कई अभियन्ता कर्मठ अभियन्ताओं में माने जाते हैं। श्री देवपाल पर कुछ वर्ष पूर्व सोनभद्र में तैनाती के दौरान निलंबन की कार्रवाई को राजनीतिक माना गया था। इसमें उल्लेखनीय मुद्दा यह है कि सोनभद्र के मामले की अभी जांच पूरी नहीं हुई है और श्री पाल पर दोषसिद्ध भी नहीं हुआ है।

जाति का मुद्दा

आठ में सात EE के अनुसूचित जाति के होने पर अनुसूचित वर्ग के कान खड़े हो गए हैं। यह मुद्दा अब राजनीति का भी रूप लेने के लिए मचल रहा है और सवाल भी उठने लगा है कि क्या सभी अयोग्य इसी जाति में होते हैं ?

वर्ष 2017 में बनी थी लिस्ट

इस मुद्दे को लेकर कहा जा रहा है कि PWD में बड़े पद से सेवानिवृत्त हो चुके एक वरिष्ठ अभियन्ता ने वर्ष ’17 में अनिवार्य सेवानिवृत्ति की सूची बनाई थी, वह शिकायतों को कम व्यक्तिगत कारणों को ज्यादा ध्यान में रखकर बनाई गई थी। इसमें 52 लोगों को रखा गया था । लिस्ट आउट होने में तीन साल लगे जिसमें अधिकांश सेवा-अवधि पूरी कर रिटायर्ड हो गए जबकि कुछ का देहांत हो गया।

UPEA की बैठक

सोमवार, 12/10 को लखनऊ में संगठन की बैठक होगी। इस संबन्ध में संगठन के प्रदेश महासचिव श्री आशीष यादव ने भ्रामक आख्या के आधार पर अनिवार्य-सेवानिवृत्ति जैसे कदम का विरोध करते हुए कहा कि संगठन सरकार से मांग करेगा कि इस आदेश पर वह पुनर्विचार करे। संगठन किसी एक विभाग का प्रतिनिधित्व नहीं बल्कि समस्त इंजीनियरिंग विभागों का प्रतिनिधि संगठन है। श्री यादव उप्र सिंचाई विभाग में कार्यरत हैं। इंजीनियरों का यह सशक्त संगठन है। महासचिव श्री यादव ने आरोप भी लगाया कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति की आड़ में भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है।

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