सत्यम ठाकुर, ब्यूरोचीफ, गुजरात…
कोरोना महामारी के से पूरी दुनिया परेशान तो है ही इसी बीच मुनाफाखोर और मौत के सौदागरों ने भी कहर बरपाया हुआ है। कही पर जीवनदायिनी दवाओं और इंजेक्शन की कालाबाजारी की जा रही है तो कही नकली इंजेक्शन और सेनेटाइजर बेचकर लोगो की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है। महज दस दिनों में ही गुजरात में ऐसी तीन घटनाये सामने आयी है जिसमे इंजेक्शन की कालाबाजारी नकली इंजेक्शन और नकली सेनेटाइजर पकडे गए है।
सबसे पहले खबर आयी कोरोना के लिए जीवन रक्षक दवा मानी जाने वाली दवा टॉसीलीजुमेब के कालाबाज़ारी जिसमे 32700 रूपये का इंजेक्शन गलत तरीके से जमा कर उसे 57 से 60 हजार रूपये तक में कालाबाजारी कर जरुरत मंद मरीजों को बेचा गया। रविवार को नकली इंजेक्शन का जखीरा बरामद हुआ है। खाद्य एवं औषध विभाग ने सूरत में सोहेल इस्माइल के घर पर छापा मारकर 8 लाख की कीमत के नकली इंजेक्शन बरामद किये। सरकार जीवन रक्षक दवाओं की कालाबाजारी को रोकने के लिए सतत मॉनिटरिंग कर रही है। खाध्य एवं औषध विभाग के आयुक्त डॉ एच जी कोशिया ने बताया कि विभाग की टीम ने टॉसीलीजुमेब के नकली इंजेक्शन का एक राज्यव्यापी नेटवर्क पकडा है।
सूरत में सोहेल इस्माइल ताई के घर पर छापा मारकर एक फिलींग मशीन, सिलिंग मशीन, कोडिंग मशीन, नकली द्रव्य पदार्थ, पैकिंग मैटेरियल व मिनी मशीन के साथ करीब 8 लाख की कीमत का माल व मशीनरी बरामद की है। कोशिया ने बताया कि सरकार कोरोना महामारी के काल में सभी को आवश्यक दवा व इंजेक्शन मिलते रहे उसके लिए सतत मॉनिटरिंग कर रही है।
डॉ कोशिया ने बताया कि अहमदाबाद के संजीवनी अस्पताल के डॉ देवांग शाह ने वहां भर्ती मरीज लताबेन बलदुआ को 400 मिलिग्रामका टॉसीलीजुमेब इंजेक्शन लिखा था। मरीज के परिजन 250 मिलीग्राम का इंजेक्शन खरीदकर लेकर गये तो डॉ को शंका हुई तथा उसने आला अधिकारियों को इस संबंध में सूचित किया। परिजनों से पूछताछ की तो पता चला कि साबरमती में मां फार्मेसी से वे यह इंजेक्शन 1 लाख 35 हजार रु में बिना बिल के खरीदकर ले गये थे। मा फार्मेसी पर छापा मारा गया तो वहां इंजेक्शन तो नहीं मिले लेकिन उसने बताया कि चांदखेडा में रहने वाले हर्ष भरत भाई ठाकोर से उसने 80 हजार रु में 4 बॉक्स खरीदे थे। जब हर्ष से इस संबंध में पूछताछ की गई तो उसने बताया कि 70 हजार में उसने पालडी के हेप्पी केमिस्ट के मालिक निलेश लालीवाला से खरीदे थे। जब निलेश से पूछताछ हुई तो उसने बताया कि वह जरूरत पड़ने पर सूरत के सोहेल इस्माइल से मंगाते थे। जिसके आधार पर सूरत में यह छापा मारा गया। लालीवाला ने ये भी बताया कि नेंड्रोलॉन डेकोनेएट 250 मिलीग्राम वाला इंजेक्शन कोरोना के टॉसीलीजुमेब से मिलता जुलता होने से उस पर टॉसीलीजुमेब का लेबल चिपकाकर भी मरीजों को बेचा जा रहा है।
अभी नकली इंजेक्शन की छानबीन चल ही रही थी की वडोदरा में नकली सेनेटाइजर मामला सामने आया , जो लोगो को कोरोना से बचाने की बजाय उनकी सेहत को और ज्यादा नुकशान पंहुचा सकता है कोरोना महामारी के चलते आज सेनेटाइजर की मांग इतनी बढ़ गई है कि अब काले बाज़ारी और ठगों की नज़र इससे आमदनी पैदा करने की ठानी है।वडोदरा पुलिस ने भी ऐसे ही मास्टर माइंड को लाखों की किम्मत के नकली सेनेटाइजर को ब्रांडेड कंपनी के नाम से बेचते धरदबोचा है।
दरअसल न्यू समा रॉड पर रहते अनिल मित्तल नाम के शातिर इसम जो पहले से कॉस्मेटिक आइटम्स बेचता था उस ने सोचा कि क्यों न सेनेटाइजर की मांग के चलते नकली सेनेटाइजर बेचा जाए।नकली कॉमेटिक आइटम बनाने में अनिल मित्तल पहले से उस्ताद रहा था।अनिल ने एक गोदाम किराए पर लिया औऱ कुछ सस्ते केमिकल मिलाकर गांधी नगर की प्रसिद्ध कंपनी केया ब्यूटिकेर न लेबल चिपका कर महेंगे दामो में 50 एम एल से 5 लीटर तक का नकली सेनेटाइजर बेचने लगा।जिसकी खबर समा पुलिस को चलते पुलिस ने गोदाम पर छापेमारी कर 7 लाख सात हजार का नकली सेनेटाइजर जब्त कर।शातिर अपराधी अनिल मित्तल को धरदबोचा।