सलिल पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार, मिर्जापुर.
यूपी का सबसे बड़ा प्रधान तो कोरोना ही कहलाएगा
किस किस ने घुटने नहीं टेके ? जनप्रतिनिधि रहे हों, सत्ता या ग़ैरसत्ता के रहे हों, आफिसर्स रहे हों, पंचायत चुनावकर्मी या प्रत्याशी रहे हों, पत्रकार, व्यापारी, डॉक्टर या अन्य बहुतेरे रहे हों, इन सभी तबके के लोगों को निष्प्राण कर कोरोना पूरे चुनाव तक तो राक्षसी-अट्टहास करता ही रहा, वह चुनाव में दिखाए निर्दयी आचरण को आगे कब तक दिखाता रहेगा, इस विषय पर सब मौन हैं।
लोग जब छोटे से बड़े हुए बच्चों को बताएंगे कारुणिक-दास्तां
इस चुनाव में प्राणों की आहुति देने वाले पिता, माता, भाई या अन्य किसी सदस्य की पीड़ादायक कहानी को आगे चलकर अभी अनजान हुए बच्चों को घर के बड़े सदस्य बताएंगे कि किस तरह बेबसी में पिताजी ने, मां ने, भैया ने जान गंवा दी तो उनका खून तो खौलेगा ही, भले जिम्मेदार लोग उस वक्त पदों पर या अस्तित्व में कहीं न दिखाई पड़े।
पौराणिक गाथाओं से होगी तुलना
घर के बड़े-बूढ़े जब छोटे बच्चों को कहानी सुनाते हैं तो बताते हैं कि एक था रावण। था बहुत दुर्दांत। वह कुंभकर्ण, मेघनाथ, मारीच आदि के बल पर लोगों को मार डालता था। उसके वध के लिए श्रीराम को जंगल-जंगल भटकना पड़ा। इसी तरह श्रीकृष्ण ने कंस और उसके गण जहरीले कालिया नाग, पूतना आदि का वध करके सबको बचाया लेकिन कोरोना के आगे सबने घुटने टेक दिए।
फिर आदिमयुग में लौट रहे हम
कहां चन्द्रमा, मंगल, वृहस्पति जैसे ग्रहों पर जाने की होड़ है, वहीं सारी प्लानिंग कोरोना के आगे नतमस्तक है। आगे क्या होगा, इसे बताने वाले फिलहाल पाठ ही पढा रहे।