कोरोना से ज्यादा भूख की चिंता

 

 

 

मुम्बई से वरिष्ठ पत्रकार विजय यादव की रिपोर्ट…

मुंबई। कोरोना के वजह से लॉकडाउन ऊपर से बंद काम ने मजदूरों की बेबसी को इस कदर बढ़ा दिया है कि वह अब किसी दिन भी भर पेट भोजन की उम्मीद नही कर सकता।

मुम्बई में ऐसे ही कुछ मजदूरों से मिलकर उनका हाल जानने का प्रयास किया। यह मजदूर मालाड के कुरार विलेज की एक झोपड़पट्टी मे इमिटेशन ज्वेलरी बनाने का काम करते हैं। लेबर जॉब करने वाले यह लोग एक ही कमरे मे 7 से 10 की संख्या मे रहते हैं।

इन्हे कोरोना से ज्यादा भूख से डर लगता है। लॉकडाउन शुरु हुये महिने भर से ऊपर हो गया। अब इनके पास कुछ ही दिनो का चावल बचा है। लॉकडाउन की वजह से बाहर किसी से मदद भी मांगने नही जा सकते।

कुछ महिने पहले ही यूपी, बिहार व झारखंड से मुंबई काम की तलाश मे आये थे। काम मिलने के कुछ महिने बाद कोरोना का कहर आ गया।

सभी मजदूर अपने गांव जाना चाहते हैं लेकिन इनके पास जाने के लिये भी पैसे नही है। अब यह निर्णय नही ले पा रहे कि आगे क्या करें। घर की बिजली कटने का भी डर सता रहा है। काम बंद होने के बाद घर का किराया भरने की मोहलत तो मकान मालिक ने जरुर दे दी है, जबकि बिजली विभाग की तलवार लटक रही है। दो महिने से बिजली का बिल नही भरा है। जल्द बिल नही भरा गया तो कनेक्शन कट जायेगा। इस हाल मे पेट की भूख के साथ-साथ गर्मी का भी मुकाबला करना पड़ेगा।

ऐसे में इन मजदूरो की बात तो एक सही साबित हो रही है कि “कोरोना से डर नही लगता साहेब भूख से लगता हैं।” अब इन सब मजदूरों की आखें सरकार की तरफ टकटकी लगाये बैठी हैं कि कब सरकार की नजरे इतायत इनकी तरफ भी होती हैं और इन्हे कुछ मदद मिलेगी…

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