सलिल पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार, मिर्जापुर.

 

  • आध्यात्मिक कोतवाल की जय-जयकार से गूंजेगा विंध्यक्षेत्र
  • महामारी से बचाव की होगी अपील

मिर्जापुर । सारे आध्यात्मिक पर्वों को बाधित करने वाले यमस्वरूप कोरोना को ललकारने के लिए भैरव-अष्टमी की पूर्व संध्या पर बचाव की भी तैयारी की गई है। भक्तों की आस्था बाधित न हो लिहाजा सेनिटाइजर और मास्क की भी व्यवस्था मंदिरों पर पुजारी और आयोजक किए हुए हैं।

विंध्यक्षेत्र में भैरव की महत्ता काशी की तरह

महालक्ष्मी स्वरूपा मां विन्ध्यवासिनी के श्रीचरणों में बसे मीर-जा-पुर (समुद्र की पुत्री यानि महालक्ष्मी) के धाम में देवसत्ता की सुरक्षा के शीर्षस्थ कोतवाल भैरवजी की जयंती पर धाम के त्रिकोण में स्थित भैरवकुंड से लेकर सिद्धमंदिर बूढ़ेनाथ, नगर के मध्य त्रिमोहानी चौराहे स्थित गणेशजी के मंदिर, नेपाल नरेश द्वारा स्थापित पंचमुखी महादेव में स्थित रुद्रभैरव, चिनिहवा इनारा सहित खजांची के चौराहे के पास श्री काली तंत्र आश्रम में जयकारों के बीच सविधि पूजन, श्रृंगार और मंत्रों का पाठ किया जाएगा । भैरवजी को भक्त अपने नशा के प्रतीक के रूप में मदिरा भी चढ़ाएंगे।

भैरवकुण्ड, कंतित भैरव एवं बूढ़ेनाथ में विद्वान संत करेंगे पूजन

पुराणों में वर्णित अष्टभुजा मंदिर की सीढ़ियों पर विराजते भैरवकुण्ड में विद्वान धर्माचार्य डॉ प्रबुद्धानन्द कोरोना को देखते श्रीयंत्र, भैरो जी का वैदिक चक्रार्चन तो करेंगे लेकिन भंडारा स्थगित कर दिया है। यहां महाकाली की भव्य मूर्ति के साथ देश के मंदिरों में सबसे बड़े आकार के श्रीयंत्र का सविधि पूजन करने दूर-दूर से लोग आते हैं। इस बार संख्या कम होने का अनुमान है फिर भी कई जिलों से न्याय क्षेत्र से जुड़े लोग आएंगे।

बलि की संख्या कम है इस बार

शक्तिधाम में विकारों की बलि के प्रतीक बकरे की बलि दी जाती है लेकिन इस बार दो बकरे की ही बलि होगी यदि सोमवार को मध्याह्न 12 बजे तक कोई अन्य नहीं आया तो । पशु-बलि क्षेत्र होने के नाते अब तक 21-21 बकरों की बलि होती रही लेकिन कोरोना द्वारा मानव बलि के चलते कार्यक्रम प्रभावित हो रहा है।

तिल-तिल बढ़ते लाल भैरव में भण्डारा

मान्यता है कि कंतित में स्थित लालभैरव विंध्यक्षेत्र के कोतवाल हैं। मां विन्ध्यवासिनी का दर्शन करने जाने के पहले इनसे निर्विघ्न दर्शन की अनुमति ली जाती है और थाने के पास स्थित बटुक भैरव को सूचित कर मंदिर से वापसी होती है । कंतित में महंत बालक गिरी पूजन एवं प्रसाद वितरण की व्यवस्था में लगे दिखाई पड़ रहे हैं।

विद्वान सन्त स्वामी योगानन्द की ज्ञानपूर्ण आराधना

नगर के प्रमुख मंदिर बूढ़ेनाथ महादेव के प्रवेशद्वार पर स्थित भैरव जी का श्रृंगार जूनागढ़ आश्रम से दीक्षित विद्वान सन्त स्वामी योगानन्द खुद करेंगे । यहां भी मन्दिर के द्वार पर स्थित भैरवजी के श्रृंगार की तैयारी कर ली गई है। बालसंत सुधानन्द गिरी इस कार्य में दत्तचित्त भाव से लगे हैं। भंडारा स्थगित कर दिया गया है।

नगर के त्रिमोहानी स्थित गणेश मंदिर में श्रद्धालु करेंगे पूजन

त्रिमोहानी स्थित सिद्ध गणेश मंदिर में स्थित भैरवजी का पूजन इंदर माली के पुत्रगण पप्पू, राजू, राजेश करेंगे। यहां दक्षिणमुखी मां काली का श्रृंगार भी किया जाएगा । नगर के लोगों की मान्यता है कि यहां पूजन फलदाई होता है । सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रभावित होगा।

श्री कालीतन्त्र आश्रम में परंपरागत पूजन

वासलीगंज स्थित केदारनाथ भट्टाचार्य गली में स्थित उक्त आश्रम को स्व प्राणनाथ पांडेय ने जागृत किया है । दिवंगत होने के बाद उनके पुत्र राजकुमार पांडेय यह दायित्व निर्वाह कर रहे है । उन्होंने श्रद्धालुओं के लिए निमंत्रण पत्र भी भेजा है। शिक्षक होने के नाते पुजारी राजकुमार पांडेय यहां भक्तों को मास्क तथा सेनिटाइज कर यह सन्देश देंगे कि महामारी से विधिक तरीके से लड़ने में पूरा समाज आगे आए।

पारिवारिक परम्परा के तहत पंचमुखी में श्रृंगार

तिवराने टोला के जाने माने व्यवसाई स्व काशीनाथ गुप्त एवं स्व हरिनाथ गुप्त परिवार द्वारा सैकड़ों साल से इस मंदिर में भैरवजी को सजाकर पूजन अर्चन किया जा रहा है । यहीं से चन्दक़दमों की दूरी पर बरियाघाट गंगा तट पर स्थित भैरवजी की छटा अद्भुत है । यहां तो भारी संख्या में लोग प्रसाद के रूप में मदिरा का भोग लगाएंगे। इसी के साथ चिनिहवा इनारा, घण्टाघर आदि स्थानों सहित कदम कदम पर स्थित मंदिरों में पूजन, श्रृंगार के लिए व्यापक तैयारी में नगर आकंठ डूबा दिखाई पड़ा।

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